मुसीबत ऐसे अल्पमत में है इमरान सरकार(government)

पाकिस्तान से लगातार ऐसी रिपोर्ट्स आ रही हैं कि पीएम इमरान खान की सरकार (government) कभी भी गिर सकती है। बता दें कि पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं है। ऐसे में पार्टी गठबंधन की सरकार चला रही है। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट मुताबिक इमरान खान सरकार संसद में बहुमत खोने के कगार पर हैं क्योंकि उनके तीन प्रमुख सहयोगी ने सरकार से समर्थन वापस ले सकती है। यह जानकारी इमरान सरकार का समर्थन करने वाली पार्टी के एक टॉप नेता ने दी है।
पाकिस्तान मुस्लिम लीग-कायद के लोकसभा में पांच सांसद है। पार्टी के प्रमुख चौधरी परवेज इलाही ने बताया है कि इस महीने के अंत तक इमरान सरकार को अविश्वास मत का सामना करना होगा। उन्होंने आगे कहा है कि यह अब इमरान खान पर निर्भर करता है कि वह व्यक्तिगत रूप से अपने सहयोगी दलों से संपर्क करें और उन्हें गठबंधन सरकार में बने रहने के लिए मनाएं वरना वह 100 फीसद मुसीबत में हैं।
विपक्षी दलों ने नेशनल असेंबली के स्पीकर से खान पर अर्थव्यवस्था और विदेश नीति के गलत प्रबंधन का आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने को कहा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक 28-30 मार्च के बीच अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान संभव है।
पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में 342 सदस्य होते हैं। माने सरकार में बने रहने के लिए इमरान खान को 172 सीटें चाहिए होगी। इमरान खान को मौजूदा वक्त में 176 सांसदों का सपोर्ट हासिल है। इसमें इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-एइंसाफ के 155 सदस्य हैं। इमरान सरकार को मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट पाकिस्तान के 7, पाकिस्तान मुस्लिम लीग-कायद के 5, बलूचिस्तान आवामी पार्टी के 5, ग्रैंड डेमोक्रेटिक अलायंस के 3 और आवामी मुस्लिम लीग पाकिस्तान के 1 सांसद का समर्थन प्राप्त है। ये कुल नंबर बनता है 176। जम्हूरी वतन पार्टी के 1 और दो निर्दलीय सांसदों ने भी इमरान खान को बाहर से समर्थन दिया हुआ है।
MQM-P के 7 और PML-Q और BAP के 5-5 सदस्यों के समर्थन वापस लेने के केस में इमरान सरकार के पास सिर्फ 159 सांसदों का समर्थन रह जाएगा और उनकी सरकार अल्पमत में आ जाएगी। ऐसे में बाहरी समर्थन को जोड़ने के बाद में इमरान खान बहुमत से 10 सीट दूर रह जाएंगे। MQM-P, PML-Q और BAP लगातार बैठक कर रही हैं। ऐसे में जल्द ही इस बात का फैसला हो जाएगा कि ये पार्टियां अब इमरान सरकार का समर्थन करेंगी या नहीं। इससे यह भी साफ हो जाएगा कि इमरान सरकार अपना कार्यकाल पूरा करेगी या उससे पहले ही गिर जाएगी।