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मुख्यमंत्री योगी ने बलिदान दिवस पर डॉ. श्यामा मुखर्जी को किया याद, माल्यार्पण कर दी श्रद्धांजलि

 

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भारतीय जनसंघ के संस्थापक अध्यक्ष डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी के 68वें बलिदान दिवस पर उन्हें याद किया। उन्होंने इस अवसर पर राजधानी स्थित सिविल अस्पताल में उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित किया। इस मौके पर प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह, उप मुख्यमंत्री समेत सरकार के कई मंत्री और पदाधिकारी उपस्थित रहे।

ट्वीट करके योगी आदित्यनाथ ने कहा कि ‘एक देश में दो विधान, दो प्रधान और दो निशान नहीं चलेंगे’ का नारा देने और देश की एकता और अखंडता के लिए अपने प्राणों का उत्सर्ग करने वाले डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान दिवस पर विनम्र श्रद्धांजलि देता हूं।

वहीं, सिविल अस्पताल में उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा सरकार ने डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी के सपने को साकार करते हुए जम्मू-कश्मीर से धारा 370 को हटा दिया। उन्होंने कहा कि स्व मुखर्जी ने देश को विजन दिया था। उन्होंने भारत माता की सेवा की।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेतृत्व की सरकार ने संविधान में चुपचाप चोरी छिपे धारा 370 को जोड़ने का कुत्सित कार्य किया था तो उसका प्रखर विरोध डॉ मुखर्जी ने किया था। उन्होंने उस वक्त नारा दिया कि एक देश में दो विधान, दो प्रधान और दो निशान नहीं चलेंगे। इसके खिलाफ उन्होंने देश में आंदोलन चलाया और एक साजिश का शिकार बने। 1953 में आज ही के दिन उनका महान बलिदान देश की एकता का आधार बना।

उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि जम्मू-कश्मीर पर लगा अनुच्छेद-370 का दंश हमेशा के लिए मिट गया। डॉ मुखर्जी ने करीब चार दशक पहले ही इस सपने को देखा था। ‘एक विधान, एक निशान और एक प्रधान’ के लिए ही उन्होंने बालिदान दिया।

उप मुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा ने कहा कि प्रखर राष्ट्रवादी विचारक, महान शिक्षाविद्, भारतीय जनसंघ के संस्थापक और अंत्योदय को देश की प्रगति का आधार मानने वाले डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान दिवस पर उनके चरणों मे कोटि-कोटि वंदन।

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह ने कहा कि आजादी के बाद देश की एकता और अखंडता के लिए प्रथम बलिदानी योद्धा एवं भारतीय जनसंघ के संस्थापक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान दिवस पर शत-शत नमन। मां भारती के मुकुट के लिए दिया गया प्राणों का बलिदान यह राष्ट्र और यह संगठन कभी क्षण भर के लिए भी विस्मृत नहीं कर सकेगा।

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