मिला 1500 साल पुराना मंदिर
आगरा/एटा. उत्तर प्रदेश के एटा का नाम इतिहास और पुरातत्व की धरोहर की सूची में हाल में शामिल हो गया है क्योंकि यहां 5वीं सदी के बहुमूल्य शिलालेख, पुरातात्विक अवशेष और एक प्राचीन मंदिर के होने के सबूत मिले हैं. भारतीय पुरातात्विक सर्वे यानी एएसआई के आगरा सर्कल ने 1500 साल पहले गुप्त वंश के समय में अवशेष एटा के बिल्सढ़ गांव में खोज निकाले हैं. ये अवशेष तब मिले जब 1928 के ज़माने से संरक्षित एक एक धरोहर स्थल की नियमित साफ सफाई और तफ्तीश की जा रही थी. तस्वीरों में देखिए कितनी खास है ये खोज.
एएसआई ने इसे ‘ब्रेकथ्रू खोज’ करार देते हुए बताया कि बिल्सढ़ में संरक्षित स्मारक की वैज्ञानिक देखरेख के दौरान कुछ सीढ़ियां खोजी गईं, जो गुप्तकालीन मंदिर की ओर जाती हुई मालूम हुईं. एएसआई ने यह भी कहा कि इनमें से एक सीढ़ी पर शंख लिपि में कुछ लिखा हुआ था, जिससे पता चलता है कि ये गुप्तकालीन हैं.
पांचवी सदी के दौरान की इन सीढ़ियों पर शंख लिपि में जो कुछ लिखा मिला है, माना जा रहा है कि उसमें एक नाम ‘श्री महेंद्रादित्य’ हो सकता है. एएसआई की मानें तो महेंद्रादित्य गुप्त वंश के शासक कुमारगुप्त के तौर पर समझा जा सकता है. बता दें कि शंख लिपि चौथी से आठवीं सदी तक प्रचलित थी, जो खास तौर पर नाम या हस्ताक्षर के लिए उपयोग में लाई जाती थी.
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में इतिहास के प्रोफेसर मानवेंद्र पुंधीर के हवाले से एक रिपोर्ट में कहा गया कि गुप्त वंश के शासन के समय पहली बार हुआ था कि ब्राह्मणों, बौद्धों और जैनों के अनुयायियों के लिए दर्शनीय मंदिरों के निर्माण किए गए. इससे पहले चट्टानों या पहाड़ियों को कांट छांटकर ही मंदिर बनते थे. एटा के अवशेषों में मिले खंभों पर खासी नक्काशी है और उससे पहले के अवशेषों की तुलना में ये काफी एडवांस नज़र आते हैं.
एएसआई ने ट्विटर पर गुप्त वंश के समय से जुड़ी इस महत्वपूर्ण खोज के बारे में तस्वीरें और जानकारी पोस्ट की. एएसआई ने अपने ट्वीट में भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय समेत संस्कृति व पर्यटन विकास मंत्री जी किशन रेड्डी को टैग करते हुए एटा में हुई पुरातात्विक खोज का ब्योरा दिया.