प्रभु की कृपा प्राप्त होने पर ही मनुष्य को सत्संग की प्राप्ति होती हैः प्रकाश चन्द्र
जौनपुर ( शंभू ) मानस प्रचारिणी सभा के तत्वावधान में आयोजित श्री रामचरित मानस सम्मेलन के प्रथम दिन प्रवचन करते हुए प्रकाश चन्द्र पाण्डेय ने कहा कि प्रभु की कृपा प्राप्त होने पर ही मनुष्य को सत्संग की प्राप्ति होती है। भगवान श्रीराम के जन्म और जगतजननी माता सीता के जन्म के संदर्भ में कहा भगवान श्रीराम का अवतरण ऋषि संस्कृति से हुई है तथा माता जगतजननी की उत्पत्ति कृषि संस्कृति से हुई है।
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उन्होंने मानस चौपाई गिरा अरथ जल बीचि सम कहियत भिन्न न भिन्न की व्याख्या करते हुए कहा कि जिस प्रकार शब्द और अर्थ कहने में सुनने में भिन्न-भिन्न हैं लेकिन दोनों एक ही है। उसी प्रकार सीता और राम कहने सुनने में तो भिन्न-भिन्न है लेकिन आध्यात्मिक दृष्टि से दोनों एक ही है। वाराणसी की धरती से पधारे मानस मर्मज्ञ मनोज मिश्र दाऊ जी ने भगवान शिव और सती प्रसंग की व्याख्या करते हुये उपस्थित जनमानस को भाव-विभोर कर दिया।
इस अवसर पर डा. आरएन त्रिपाठी, बीएचयू सदस्य लोक सेवा आयोग, अनिल जी हरि ओम, चंद्रपाल सिंह, ओपी गुप्ता, रामाश्रय साहू, रमेश जायसवाल, सुरेन्द्र जायसवाल, मनोज सेठ, राधेरमण जायसवाल, सत्य प्रकाश गुप्ता, मोहन गाढ़ा, ज्ञान जायसवाल सहित तमाम लोग उपस्थित रहे।