मानव तस्करी में दो रोहिंग्या गिरफ्तार
लखनऊ :प्रदेश पुलिस के आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) ने मानव तस्करी करने वाले म्यांमार निवासी दो रोहिंग्या नागरिकों को सोमवार को गिरफ्तार कर लिया है। रिश्ते में भाई ये दोनों म्यांमार के रोहिंग्या नागरिकों को अवैध रूप से भारत में प्रवेश कराते थे और फर्जी दस्तावेजों के सहारे उन्हें भारतीय नागरिक के रूप में स्थापित करने का धंधा करते थे। एटीएस ने एक आरोपी शाहिद को सोमवार को पहले अलीगढ़ से गिरफ्तार किया, जबकि उसके भाई फारूख उर्फ हसन को एक दिन पहले गौतमबुद्धनगर (नोएडा) के परी चौक से गिरफ्तार किया था। एटीएस दोनों को रिमांड पर लेकर पूछताछ करेगी।
एडीजी कानून-व्यवस्था प्रशांत कुमार ने पुलिस मुख्यालय में पत्रकारों से बातचीत करते हुए बताया कि एक गिरोह म्यांमार निवासी रोहिंग्या नागरिकों को बांग्लादेश सीमा से अवैध से रूप से भारत लाता है और यूएनएचसीआर (संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त कार्यालय) में उनका पंजीकरण कराकर देश और प्रदेशों के विभिन्न शहरों में उन्हें स्थापित करता है। बाद में यह गिरोह फर्जी दस्तावेजों के आधार पर उनके भारतीय दस्तावेज आधार कार्ड, पैन कार्ड व पासपोर्ट आदि तैयार कराकर उन्हें भारतीय नागरिक के रूप में विभिन्न मीट फैक्ट्रियों में मजदूर के रूप में काम दिलाता है। इसके बदले यह गिरोह उनसे धनउगाही करता है।
साथ ही यह गिरोह देश विरोधी गतिविधियों में भी लिप्त है। इस सूचना को विकसित करने पर एटीएस ने 28 फरवरी को मो. फारूख पुत्र मुहम्मद इस्माइल को नोएडा के परी चौक से गिरफ्तार किया। फारूख अलीगढ़ के थाना कोतवाली नगर स्थित मकदूम नगर में रह रहा था। पूछताछ में पता चला कि उसका असली नाम हसन अहमद पुत्र नूर अहमद है और वह म्यांमार के आकियाब जिले के मगरू थाना क्षेत्र स्थित तमचन गांव का रहने वाला है।
पूछताछ में मिली जानकारी के आधार पर सोमवार को फारूख के भाई शाहिद को अलीगढ़ से गिरफ्तार कर लिया गया। वह उन्नाव के कासिम नगर में रह रहा था। शाहिद का असली नाम साहिल मोहम्मद है। उन्होंने बताया कि शाहिद के कब्जे से भारतीय पासपोर्ट व अन्य दस्तावेजों के अलावा पांच लाख रुपये नकद बरामद हुआ है। शाहिद इन पैसों का स्रोत नहीं बता पाया। दोनों भाइयों के विरुद्ध आईपीसी की धारा 419, 420, 467, 468, 471 व 120 बी के अलावा विदेशी अधिनियम 14 व 14 सी अधिनियम के तहत एटीएस के लखनऊ थाने में मुकदमा दर्ज किया गया है।
एडीजी कानून-व्यवस्था प्रशांत कुमार ने बताया कि दोनों भाइयों से पूछताछ में पता चला कि वे रोहिंग्या नागरिकों को अलीगढ़, उन्नाव व मथुरा आदि जिलों में लाकर बसाते हैं। इन नागरिकों को वे अलीगढ़, आगरा व उन्नाव में मीट फैक्ट्रियों में मजदूर के रूप में लगवा देते थे। यह भी पता चला कि फारूख के साथ उसकी मां हामीदा साही उर्फ मदीना खातून भी अलीगढ़ में रहती है। उसका बहनोई हुसैन अहमद अपने परिवार के साथ नूह (हरियाणा) में रहता है। उन्होंने बताया कि दोनों भाइयों और मां का डीएनए टेस्ट कराया जाएगा, ताकि उनके दावे की हकीकत पता चल सके। आईजी एटीएस डॉ. जीके गोस्वामी ने बताया कि दोनों भाइयों ने अपने बहनोई के संपर्क में एक अन्य व्यक्ति के बारे में भी जानकारी दी है। वह व्यक्ति देश के विभिन्न प्रदेशों जैसे पश्चिम बंगाल, बिहार, दिल्ली, जम्मू-कश्मीर, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु व केरल में भ्रमण करता रहता है और उसकी गतिविधियां संदिग्ध हैं।