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महाराष्ट्र विधानसभा से भाजपा विधायकों के निलम्बन पर जाने सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा

नई दिल्ली। विधानसभा के पीठासीन अधिकारी के साथ कथित दुर्व्यवहार के मामले में यह कार्रवाई की गई थी। महाराष्ट्र विधानसभा से 12 भाजपा विधायकों को एक साल के लिए निलंबित किए जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को फैसला सुरक्षित रख लिया। मंगलवार को मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि यह निर्णय लोकतंत्र के लिए खतरा है।

सुप्रीम कोर्ट ने सुरक्षित रखा फैसला, बताया लोकतंत्र के लिए खतरा

जस्टिस एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ ने राज्य के वकील ए सुंदरम से सत्र की अवधि से आगे निलंबन की तार्किकता के बारे में कड़े सवाल किए थे। पीठ ने कहा, जब आप कहते हैं कि कार्रवाई तर्कसंगत होनी चाहिए, तो वहां निलंबन का कुछ उद्देश्य होना चाहिए और निलंबन उस सत्र से आगे के लिए नहीं होना चाहिए। इन विधायकों ने अपने निलंबन को शीर्ष कोर्ट में चुनौती दी है। पीठ ने कहा कि निलंबन के पीछे कोई वाजिब और ठोस कारण होना चाहिए।

पीठ ने कहा, एक वर्ष के लिए निलंबन का निर्णय तर्कहीन है क्योंकि संबंधित निर्वाचन क्षेत्र को छह महीने से अधिक समय के लिए प्रतिनिधित्व से वंचित नहीं किया जा सकता। हम संसदीय कानून की भावना के बारे में बात कर रहे हैं। पीठ ने कहा कि जहां एक स्थान खाली होता है, वहां चुनाव होता है। निलंबन के मामले में चुनाव नहीं हो सकता, लेकिन अगर किसी व्यक्ति को निष्कासित कर दिया जाता है तो चुनाव करवाया जाएगा।

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यह लोकतंत्र के लिए एक और खतरा है। मान लिया जाए कि किसी दल को मामूली बहुमत है और 15-20 विधायकों को निलंबित कर दिया जाए तो लोकतंत्र का भाग्य क्या होगा? पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि एक साल का निलंबन ‘निष्कासन से भी बदतर’ है क्योंकि उन निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व ही नहीं रह गया है।

याचिका पर मंगलवार को लंबी सुनवाई के बाद बुधवार को आगे सुनवाई हुई। इसके बाद शीर्ष कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को कहा कि वह उस याचिका को सूचीबद्ध करने पर विचार करेगा जिसमें चुनाव आयोग को उन राजनीतिक दलों का पंजीकरण रद्द करने का निर्देश देने की मांग की गई है जो चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों के आपराधिक इतिहास का खुलासा नहीं करते।

याचिका भाजपा नेता व वकील अश्विनी उपाध्याय ने दायर की है। उपाध्याय ने चीफ जस्टिस एनवी रमण की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ के समक्ष याचिका का जिक्र करते हुए कहा कि पांच राज्यों में महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के मद्देनजर इसे सुनवाई के लिए जल्द सूचीबद्ध की जाए।

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