भारत सरकार ने चीन को सुझाए हैं ये तीन रास्ते
नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि पिछले साल से जारी गतिरोध के बीच चीन के साथ सैन्य और कूटनीतिक स्तर की कई वार्ताएं हुईं, मगर अब तक कोई खास सफलता हाथ नहीं लगी है। हालांकि, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में कहा कि बातचीत के दौरान भारत ने ड्रैगन को चीन के साथ सीमा विवाद को सुलझाने के लिए तीन सिद्धांतों को सुझाया है।
राजनाथ सिंह ने कहा कि हम तीन सिद्धांतों के आधार पर सीमा विवाद का समाधान चाहते हैं।
1. दोनों पक्षों द्वारा एलएसी को माना जाए और उसका आदर किया जाए
2. किसी भी पक्ष द्वारा एकतरफा स्थिति को बदलने का प्रयास न किया जाए
3. सभी समझौतों का दोनों पक्षों द्वारा पूर्ण रूप से पालन किया जाए
राज्यसभा में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत ने स्पष्ट किया है कि एलएसी में बदलाव ना हो और दोनों देशों की सेनाएं अपनी-अपनी जगह पहुंच जाएं। हम अपनी एक इंच जगह भी किसी को नहीं लेने देंगे। राजनाथ ने कहा कि पेंगोंग के नॉर्थ और साउथ बैंक को लेकर दोनों देशों में समझौता हुआ है और सेनाएं पीछे हटेंगी। उन्होंने आगे कहा कि पैंगोंग झील के उत्तर और दक्षिण में सैनिकों की वापसी पर सहमति बन गई है। कल से सीमा पर सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया शुरू हो गई है। सैनिक वापसी की प्रक्रिया के बाद बाकी मुद्दों के हल के बातचीत चल रही है। समझौते के 48 घंटे के भीतर दोनों देश के कमांडर मिलेंगे।
राजनाथ सिंह ने कहा कि पिछले साल अप्रैल, मई में पूर्वी लद्दाख में एलएसी के पास चीनी सैनिकों द्वारा भारी मात्रा में गोला-बारूद और शस्त्र इकट्ठा किए गए और जवानों की तैनाती कर रखी है, मगर हमारे भारतीय जवानों ने जवाब दिया है। पिछले साल सितंबर से दोनों पक्षों ने सैन्य और कुटनीतिक चैनल द्वारा कई बार बातचीत की है। हमारी कोशिश है कि एलएएसी पर डिसइंगेजमेंट और यथास्थिति हो जाए, ताकि शांति स्थापित हो सके।
लद्दाख की ग्राउंड सिचुएशन से अवगत कराते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि चीन ने अवैध तरीके से लद्दाख के अंदर हमारे 1962 से ही 38 हजार वर्ग किलो मीटर पर कब्जा बना रखा है। इसके अलावा, पाकिस्तान ने अवैध तरीके से पाक अधिकृत कश्मीर में भारत की लगभग 5180 वर्ग किलोमीटर जमीन चीन को दे दिया है। इस प्रकार 43 हजार वर्ग किलोमीटर से अधिक भारत की भूमिक पर अवैध तरीके से कब्जा है।
भारत ने इन सभी दावों और अनधिकृत कब्जों को कभी स्वीकार नहीं किया है। भारत ने चीन को हमेशा यह कहा है कि द्विपक्षीय संबंध दोनों देशों के प्रयास से विकसित हो सकते हैं। साथ ही सीमा के मुद्दों को भी बातचीत के जरिए ही हल किया जा सकता है। पिछले साल चीन के द्वारा उठाए गए एकतरफा कदमों की वजह से दोनों देशों के बीच संबंध खराब हुए हैं।