कमजोरी बन गई मजबूती, जानिए कैसे भारत ने ढहाया दक्षिण अफ्रीका का किला ..

भारत ने दक्षिण अफ्रीका को तीन टेस्ट मैचों की सीरीज के पहले मुकाबले में 113 रन से हरा दिया। उसने सेंचुरियन के मैदान पर पहली बार टेस्ट मैचों में जीत हासिल की है। भारत की दक्षिण अफ्रीका में ये कुल चौथी जीत है। संयोग की बात है कि हर बार टीम इंडिया को जीत रनों के अंतर से ही मिली है। उसने पहली जीत जोहानिसबर्ग में 2007 में हासिल की थी। उसके बाद 2010 में किंग्समीड और 2018 में फिर से जोहानिसबर्ग में जीत मिली ती।
आइए जानते सेंचुरियन फतेह करने में भारत के पक्ष में कौन से कारण रहे-
1. टॉस जीतने से मिली मनोवैज्ञानिक बढ़त: भारतीय कप्तान विराट कोहली टॉस के मामले में यहां भाग्यशाली रहे। उन्होंने टॉस जीता और पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया। इस मैदान के पुराने रिकॉर्ड को देखें तो इस टेस्ट से पहले 26 मुकाबलों में 11 बार टॉस जीतने वाली और 11 बार टॉस हारने वाली टीम मैच जीती थी। चार मुकाबले ड्रॉ रहे थे। अब टॉस जीतने वाली टीम 12वीं बार जीती है।
2. ओपनर्स ने भारतीय टीम के लिए कमाल किया: भारतीय ओपनर्स केएल राहुल और मयंक अग्रवाल ने शानदार शुरुआत दिलाई। 2007 के बाद पहली बार भारतीय ओपनर दक्षिण अफ्रीका में शतकीय साझेदारी करने में सफल रहे। राहुल और मयंक ने पहली पारी में 117 रनों की साझेदारी की। यहीं से मैच भारत की ओर झुक गया। राहुल ने शतकीय पारी खेलते हुए 123 और मयंक ने 60 रन बनाए। वसीम जाफर के बाद दक्षिण अफ्रीका में शतक लगाने वाले राहुल दूसरे भारतीय ओपनर बने।
3. तेज गेंदबाजों ने बरपाया कहर: भारतीय टीम इस दौरे पर किसी भी बाएं हाथ के तेज गेंदबाज के साथ नहीं गई थी। विशेषज्ञ इसे टीम इंडिया की कमजोरी मान रहे थे, लेकिन विराट कोहली के गेंदबाजों ने इसे ही मजबूती में बदल दिया। सेंचुरियन के आंकड़े भी कहते हैं कि दाएं हाथ के तेज गेंदबाज इस मैदान पर ज्यादा सफल होते हैं। दोनों पारियों को मिलाकर मोहम्मद शमी ने आठ, जसप्रीत बुमराह ने पांच, मोहम्मद सिराज तीन और शार्दुल ठाकुर ने दो विकेट लिए।
4. मौसम ने दिया बहादुरों का साथ: मैच शुरू होने से पहले माना जा रहा था कि दो से तीन दिन का खेल बारिश के कारण बर्बाद हो जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। पहले दिन सबसे ज्यादा बारिश होने की संभावना थी, लेकिन पूरे दिन मौसम साफ रहा। इसके बाद आखिरी दिन जब टीम को जीत के लिए छह विकेट चाहिए थे तब बारिश नहीं हुई। इस तरह कह सकते हैं इस बार भाग्य ने भी बहादुरों का साथ दिया।
5. विराट कोहली की आक्रमक कप्तानी: टेस्ट क्रिकेट में मौजूदा समय के सबसे बेहतर कप्तान माने जाने वाले विराट कोहली ने एक बार फिर से खुद को साबित किया। वनडे टीम की कप्तानी से हटाए जाने के बाद उनपर मानसिक दबाव था, लेकिन उन्होंने एक पेशेवर क्रिकेटर के रूप में इसे खुद से दूर रखा। सही समय पर सही गेंदबाज का इस्तेमाल किया। तेज गेंदबाजों को तरोताजा रखने का काम किया। हमेशा विकेट के लिए गए और अफ्रीकी बल्लेबाजों पर दबाव बनाए रखा।