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भारत-चीन और अमेरिका-जापानः पूरी दुनिया महंगाई की ओर, 50 साल बाद फिर महंगाई का डर

नई दिल्ली। लगभग हर बड़े देश में महंगाई पुराने रिकर्ड तोड़कर नए कीर्तिमान स्थापित कर रही है। वहीं दूसरी ओर इसे नियंत्रित करने के तमाम उपाय नाकामयाब होते दिख रहे हैं। यही कारण है कि अमेरिका, चीन, जापान और भारत समेत कई देशों में लोगों को नए साल में महंगाई और बढ़ने का डर सता रहा है। हाल ये है कि अमेरिका में 1982 के बाद महंगाई उच्च स्तर पर है तो दूसरी ओर भारत में थोक महंगाई का आंकड़ा 12 साल के हाई पर पहुंच चुका है।

कोरोना महामारी की शुरुआत के बाद से दुनियाभर के देशों में जो हाहाकार मचा और आर्थिक स्तर पर जो बड़ा नुकसान हुआ, उसकी भरपाई अभी तक नहीं हो पाई है। वहीं दूसरी ओर कोरोना के नए-नए रूप लोगों में खौफ पैदा कर रहे हैं। ओमिक्रन वैरिएंट के बढ़ते प्रकोप से लोगों को डर है कि कहीं फिर से प्रतिबंधों का सामना न करना पड़े। इस बीच लगातार बढ़ती महंगाई ने लोगों पर दोहरी मार की है। हालात ये हैं कि 50 साल बाद एक बार फिर इसे लेकर विशेषज्ञों और अर्थशास्त्रियों के माथे पर चिंता की लकीरें बढ़ गई हैं। बड़े -बड़े देशों में लगातार बढ़ती महंगाई को देखकर विशेषज्ञ मान रहे हैं कि नए साल 2022 में भी लोगों को बढ़ती महंगाई से राहत मिलने की कोई उम्मीद नहीं है।

लुधियाना ब्लास्टः धमाके में आरडीएक्स के इस्तेमाल की आशंका

हाल ही में आरबीआई की मीटिंग में गर्वनर शक्तिकांत दास ने कहा था कि सीपीआई आधारित मुद्रास्फीति के 2021-22 में 5.3 प्रतिशत रहने की संभावना है। महंगाई की मार से भारत ही नहीं बल्कि सारी दुनिया परेशान है। अर्थशास्त्री ये समझने में लगे हैं कि आखिर पूरी दुनिया के सामने ये चुनौती कैसे खड़ी हो गई। अमेरिका में महंगाई दर 1982 के सबसे ऊंचे स्तर को भी पार कर गई। चीन से लेकर यूरोप तक इस समस्या का सामना कर रहे हैं। ब्रिटेन में भी महंगाई से आम जनता परेशान है। कोरोना और महंगाई की दोहरी मार से लोगों को निकलने का रास्ता नहीं मिल पा रहा है। इससे आम उपभोक्ता, उद्योगपति, बैंकर और राजनेता सभी परेशान हैं। अभी हाल ही में अमेरिका एवं अन्य यूरोपीयन देशों में मुद्रास्फीति की दर के आंकड़े जारी किये गए हैं।

फिलहाल राहत की उम्मीद नहीं

भारत समेत पूरी दुनिया में महंगाई की बात करें तो थोक और खुदरा दोनों प्रकार की महंगाई में महीने-दर-महीने इजाफा हो रहा है। कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (सीपीआई) पर आधारित खुदरा महंगाई नवंबर में 4.9 फीसदी के स्तर पर पहुंच चुकी है। हालांकि, यह आंकड़ा भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के निर्धारित दायरे में हैं, इसलिए इसे बहुत अधिक कहना बेमानी होगी। मगर आम लोगों के लिए ये इजाफा परेशान करने वाला है। वहीं दूसरी ओर व्होलसेल प्राइस इंडेक्स (डब्ल्यूपीआई) पर आधारित थोक महंगाई को देखें तो यह पिछले 12 साल के उच्च स्तर पर पहुंच चुकी है। इसका स्तर डराने वाला है। जी हां, फिलहाल देश में थोक महंगाई 14.23 फीसदी के स्तर पर है।

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