भारत आए अमेरिका के रक्षा मंत्री ने राजनाथ से की मुलाकात
नई दिल्ली। अमेरिकी रक्षामंत्री लॉयड ऑस्टिन ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में उभरी ‘सबसे अहम’ चुनौतियों से निपटने के लिए भारत के साथ रणनीतिक साझेदारी मजबूत करने की इच्छा जताई। ऑस्टिन तीन दिन की भारत यात्रा पर हैं। पीएम मोदी से शुक्रवार को मुलाकात के बाद अमेरिकी रक्षा मंत्री ने शनिवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ बातचीत की। ऑस्टिन अपने पहली तीन देशों की विदेश यात्रा के तहत भारत पहुंचे हैं। इससे पहले उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अंतरराष्ट्रीय, राष्ट्रीय एवं आपसी हितों पर चर्चा की थी।
भारत-अमेरिका के बीच डिफेंस पार्टनरशिप का महत्व
ऑस्टिन का स्वागत करते हुए, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि उनकी भारत यात्रा निश्चित रूप से दोनों देशों के बीच सहयोग और साझेदारी को और मजबूत करने वाली है।’ वहीं, ऑस्टिन ने ट्वीट किया, ”यहां भारत में आकर रोमांचित हूं। हमारे दोनों देशों के बीच सहयोग की गहराई हमारी व्यापक रक्षा साझेदारी के महत्व को दर्शाती है और हम हिंद-प्रशांत क्षेत्र के सामने आने वाली चुनौतियों पर मिलकर काम कर सकते हैं।” भारत-अमेरिका रक्षा संबंधों ने पिछले कुछ वर्षों में नये मुकाम हासिल किये हैं। जून 2016 में अमेरिका ने भारत को ‘प्रमुख रक्षा साझेदार’ का दर्जा दिया था।
मल्टी मिशन प्रिडेटर ड्रोन पर चर्चा
उन्होंने बताया कि तीन अरब डॉलर से अधिक (अनुमानित) की लागत से अमेरिका से करीब 30 ‘मल्टी-मिशन’ सशस्त्र प्रीडेटर ड्रोन खरीदने की भारत की योजना पर भी चर्चा होने की उम्मीद है। ये ड्रोन सेना के तीनों अंगों (थल सेना, वायु सेना और नौ सेना) के लिए खरीदने की योजना है। मध्य ऊंचाई पर लंबी दूरी तक उड़ान भरने में सक्षम इस ड्रोन का निर्माण अमेरिकी रक्षा कंपनी जनरल एटोमिक्स करती है। यह ड्रोन करीब 35 घंटे तक हवा में रहने में सक्षम है और जमीन एवं समुद्र में अपने लक्ष्य को भेद सकता है।
114 फाइटर प्लेन खरीद पर बातचीत
बताया जाता है कि करीब 18 अरब डॉलर की लागत से 114 लड़ाकू विमान खरीदने की भारत की योजना पर भी वार्ता हो सकती है। दरअसल, अमेरिकी रक्षा साजो सामान निर्माण कंपनियां बोइंग और लॉकहीड मार्टिन की इस करार पर नजरें हैं। क्वाड समूह द्वारा हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपना सहयोग विस्तारित करने का संकल्प लेने के कुछ दिनों बाद अमेरिकी रक्षा मंत्री की भारत की यात्रा हो रही है। चार देशों के इस समूह में भारत, अमेरिका, जापान और आस्ट्रेलिया शामिल हैं।
पूर्वी लद्दाख में चीनी रवैये को लेकर विचार
यात्रा की तैयारियों और एजेंडा की जानकारी रखने वाले लोगों ने बताया कि दोनों पक्षों के बीच बातचीत में भारत-अमेरिका संबंध को और प्रगाढ़ करने के तरीकों, हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने, पूर्वी लद्दाख में चीन के आक्रामक व्यवहार, आतंकवाद से पैदा हुई चुनौतियों और अफगान शांति वार्ता पर जोर रहने की उम्मीद है।