main slideउत्तर प्रदेश

भाजपा में पदाधिकारियों का टिकट मांगना और चुनाव लड़ना हुआ मुश्किल, नये चेहरों को मिलेगा मौका

 

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव 2022 के लिए भारतीय जनता पार्टी के संगठन महामंत्री सुनील बंसल ने बैठकें करना शुरू कर दिया है और इस बार भाजपा बहुत सारे नये चेहरों को मौका देगी। वहीं भाजपा संगठन के पदाधिकारी चुनाव संरचना को मजबूती देंगे। इसके कारण पार्टी में पदाधिकारियों का टिकट मांगना और चुनाव लड़ना मुश्किल होगा।

वर्ष 2021 से चुनावी तैयारियों पर जोर देने जा रही भाजपा के प्रमुख पदाधिकारियों की ओर से स्पष्ट कर दिया गया है कि जिला एवं क्षेत्रीय स्तर पर जो पदाधिकारी हैं, वे स्वयं टिकट की दावेदारी नहीं करेंगे। आवश्कता पड़ने पर भाजपा संगठन अपने पदाधिकारियों को चुनाव मैदान में उतारेगा। 2022 के विधानसभा चुनाव के मद्देनजर संगठन पदाधिकारी चुनावी व्यूह संरचना को मजबूती देंगे और विधानसभा क्षेत्र के बनते बिगड़ते समीकरण के अनुसार उम्मीदवार चयन प्रक्रिया को अंतरिम रुप देने में संगठन की मदद करेंगे।

प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह ने अभी चार माह पूर्व में प्रदेश के छह क्षेत्रों में क्षेत्रीय अध्यक्षों के नाम की घोषणा की। इसमें दो नये क्षेत्रीय अध्यक्षों के नाम तय किये गये, अवध क्षेत्र में शेषनारायण मिश्रा और उत्तर प्रदेश पश्चिम में मोहित बेनीवाल को क्षेत्रीय अध्यक्ष बनाया गया था। वहीं बृज क्षेत्र में रजनीकांत माहेश्वरी, काशी क्षेत्र में महेश श्रीवास्तव, गोरखपुर क्षेत्र में धर्मेंद्र सिंह सैंथवार और कानपुर में मानवेंद्र सिंह को क्षेत्रीय अध्यक्ष पद पर दोबारा मौका दिया गया।

चार माह बीतते हुए सभी क्षेत्रीय अध्यक्षों ने अपनी टीम बना ली और विधानसभा चुनाव के लिए तय कार्यक्रमों में जुट गये। वहीं महानगर एवं जिला की टीमें भी बन गयी। बूथ स्तरीय कार्यकर्ताओं के साथ भाजपा ने ऑनलाइन वेबिनार बैठकें की और एक एक विधानसभा पर अपने कार्यकर्ताओं के हाथों को मजबूत किया।

ज्यादातार पदाधिकारी कर रहे हैं विधायक बनने की तैयारी

बृज क्षेत्र हो या गोरखपुर क्षेत्र, कानपुर क्षेत्र हो या फिर अवध क्षेत्र ही हो, ज्यादातर क्षेत्रीय पदाधिकारी स्वयं विधानसभा चुनाव लड़ने और विधायक बनने की तैयारी कर रहे हैं। बता दें कि इस बार क्षेत्रीय टीमों में कुछ चेहरें ऐसे भी शामिल किये गये हैं, जो वर्ष 2014 या 2017 के बाद भाजपा के सक्रिय हुए। भाजपा में सक्रियता के कारण उन्हें पदाधिकारी बना दिया गया लेकिन, उनका मूल उद्देश्य विधानसभा चुनाव लड़ने की दावेदारी करना ही है।

महानगर व जिला टीमों की अलग ही दावेदारी

इस बीच भाजपा के महानगर अध्यक्षों एवं जिलाध्यक्षों के नेतृत्व में बनी टीमों की विधानसभा चुनाव को लेकर अलग ही दावेदारी है। इन्होंने एक एक विधानसभा क्षेत्र आपस के बांट लिये हैं और वहां बूथ स्तर पर कार्यकर्ताओं की बैठकें कर भाजपा के साथ साथ खुद को भी मजबूत कर रहे हैं।

Show More

यह भी जरुर पढ़ें !

Back to top button