बीजेपी ने निर्दलीयों ( निर्दलीयों)के समर्थन से बनाई थी सरकार

पणजीः गोवा में 40 सदस्यीय विधान सभा में पिछले 5 वर्षों के दौरान 20 विधायकों ने इस्तीफे दिए और दल बदल लिए. मौजूदा विधान सभा के कार्यकाल के दौरान 2 प्रमुख विधायक मनोहर पर्रिकर और फ्रांसिस डीसूजा का निधन हो गया. पर्रिकर का 2019 में जब निधन हुआ, तब वह राज्य के मुख्यमंत्री थे; जिसके बाद भारतीय जनता पार्टी के प्रमोद सावंत ने राज्य की कमान संभाली.बीजेपी ने निर्दलीयों ( निर्दलीयों) के समर्थन से बनाई सरकार
नई विधानसभा के लिए इस साल 14 फरवरी को चुनाव हुए और नतीजों की घोषणा 10 मार्च को की जाएगी. भारतीय जनता पार्टी ने 2017 में विधान सभा चुनाव के बाद कुछ क्षेत्रीय दलों और निर्दलीयों के समर्थन से सरकार बनाई थी. चुनावों के तुरंत बाद विश्वजीत राणे पहले विधायक थे, जिन्होंने इस्तीफा दिया था. वह कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए. बाद में वह अपनी पारंपरिक वालपोई विधान सभा सीट से उपचुनाव जीते.
2 और विधायक दयानंद सोपते (मंदरेम) और सुभाष शिरोडकर (शिरोडा) 2018 में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे. बाद में पर्रिकर और फ्रांसिस डीसूजा के निधन से विधान सभा में 2 सीट खाली हो गईं. इसके बाद 4 विधान सभा सीटों शिरोडा, मंद्रेम, पणजी और मापुसा सीटों के लिए उप चुनाव हुए. कांग्रेस ने पणजी में, जबकि भाजपा ने बाकी की 3 सीटों पर जीत हासिल की.
कांग्रेस के 10 विधायक जुलाई 2019 में भाजपा में शामिल हो गए थे. मौजूदा विधान सभा के अंतिम दौर में कांग्रेस विधायक लुइझिन्हो फालेयरो ने इस्तीफा दे दिया और वह तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए. जबकि, जयेश सालगांवकर (गोवा फॉरवर्ड पार्टी), रोहन खुंटे (निर्दलीय), गोविंद गौड़ (निर्दलीय), रवि नाइक (कांग्रेस) ने भी इस्तीफा दे दिया और वे भाजपा में शामिल हो गए.
इसके अलावा भाजपा विधायक माइकल लोबो, दीपक पाउस्कर, फिलिप नेरी रोड्रिगेज, एलिना सल्दान्हा, प्रवीण जांते, विलफ्रेड डीसा, इसीडोर फर्नांडीज और कार्लोस अल्मेडा ने भी इस्तीफा दे दिया. सल्दान्हा आम आदमी पार्टी, लोबो और अल्मेडा कांग्रेस में, जबकि जांते महाराष्ट्रवादी गोमंतक पार्टी में शामिल हो गए.
गोवा फॉरवर्ड पार्टी के विधायक विनोद पालेकर ने भी निर्दलीय के तौर पर चुनाव लड़ने के लिए इस्तीफा दे दिया. जबकि, कांग्रेस के अलेक्सो रेगिनाल्डो लोरेंस तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए. उन्होंने बाद में तृणमूल कांग्रेस छोड़कर निर्दलीय के तौर पर चुनाव लड़ा. निर्दलीय विधायक प्रसाद गांवकर भी इस्तीफा देकर कांग्रेस में शामिल हो गए.