बिहार में लगी सोना’बनाने वाली मशीन
पटना. सोशल मीडिया पर अक्सर यह सुनने-देखने को मिल जाता है कि ऐसी मशीन बनाई जाएगी जिसमें आलू डाला जाएगा और सोना निकलेगा. इसको लेकर कई बार सियासी तंज भी कसे गए हैं. लेकिन, बिहार में अब यह सच साबित हो गया है. दरअसल ‘तरल सोना’ के नाम से प्रसिद्ध पेट्रोल-डीजल अब प्लास्टिक के कचरे से बनाया जाने लगा है. इसके लिए एक मशीन भी बनाई गई है जिसमें इधर से प्लास्टिक का कचरा डालिये और उधर से ‘तरल सोना’ यानी पेट्रोल निकल आएगा. बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में 6 रुपये के प्लास्टिक कचरा से 70 रुपये का पेट्रोल-डीजल बनाया जाने लगा है. राजस्व और भूमि सुधार मंत्री रामसूरत राय ने मुजफ्फरपुर के कुढ़नी के खरौना में मंगलवार को प्लास्टिक और कचरा से पेट्रोल डीजल बनाने वाली इकाई का उद्घाटन किया. मंत्री जी ने प्लास्टिक के कचरे से ‘तरल सोना’ उगलने वाली मशीन लगे प्लांट में तैयार 10 लीटर डीजल की खरीदारी भी की.
बताया जा रहा है कि इस प्रोडक्शन यूनिट में प्रतिदिन 200 किलो प्लास्टिक कचरा से 150 लीटर डीजल और 130 लीटर पेट्रोल तैयार होगा. यह यूनिट नगर निगम से 6 रुपये प्रति किलो की दर से प्लास्टिक कचरा की खरीद करेगी. इस यूनिट इकाई के संचालक आशुतोष मंगलम के अनुसार सबसे पहले कचरा को ब्यूटेन में परिवर्तित किया जाएगा. प्रोसेस के बाद ब्यूटेन को आइसोऑक्टेन में बदला जाएगा. इसके बाद अलग-अलग प्रेशर तापमान से आइसोऑक्टेन को डीजल और पेट्रोल में परिवर्तित किया जाएगा. उन्होंने बताया कि 400 डिग्री सेल्सियस तापमान पर डीजल और 800 डिग्री सेल्सियस तापमान पर पेट्रोल का उत्पादन होगा.
आशुतोष मंगलम ने देहरादून स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोलियम की ओर से डीजल और पेट्रोल का ट्रायल किया जा चुका है. ट्रायल सफल रहा है. उन्होंने बताया कि डीजल और पेट्रोल में अधिक होने से भी अधिक पाया गया है. इस पूरी प्रक्रिया में 8 घंटे तक का समय लगता है. प्लास्टिक से पेट्रोलियम प्रोडक्ट बनाने वाले इस प्लांट के बारे में मिली जानकारी के मुताबिक इकाई में तैयार होने वाला पेट्रोल और डीजल की आपूर्ति किसानों के अलावा मुजफ्फरपुर नगर निगम को होगी. इकाई 70 प्रति लीटर की दर से पेट्रोल और डीजल की आपूर्ति करेगी.
मिली जानकारी के अनुसार उद्घाटन के बाद पहले दिन इस प्लांट में 40 किलो प्लास्टिक से 37 लीटर डीजल तैयार की गई. इकाई के संचालक ने बताया कि नगर निगम से प्लास्टिक उपलब्ध होगी. इसके बदले इकाई नगर निगम को डीजल और पेट्रोल 70 में उपलब्ध कराएगा. इस मौके पर मंत्री रामसूरत राय ने कहा कि इस इकाई से कचरा प्रबंधन में मदद मिलेगी. प्लास्टिक कचरा का सबसे बेहतर इस्तेमाल हो सकेगा. इकाई द्वारा उत्पादन बढ़ाए जाने पर फैक्ट्रियों को भी डीजल उपलब्ध कराया जा सकेगा.
बता दें कि केंद्र सरकार की योजना पीएमईजीपी के तहत 25 लाख रुपये लोन लेकर इकाई खोली गई है. जिला उद्योग केंद्र के महाप्रबंधक पीके सेना ने कहा कि इस इकाई की राष्ट्रीय स्तर पर सराहना की जा चुकी है. एमडीएम गणेश दत्त शर्मा ने बताया कि अनुदानित ब्याज पर इकाई खोलने के लिए लोन उपलब्ध कराया गया है. इस इकाई से कई लोगों को रोजगार मिलेगा.
देहरादून के इंडियन इंस्टीच्यूट ऑफ पेट्रोलियम की ओर से डीजल और पेट्रोल का सफल ट्रायल किया जा चुका है. ‘तरल सोना’ कहे जाने वाले डीजल और पेट्रोल में अधिक ऑक्टन वैल्यू होने से माइलेज अधिक पाया गया है. इस पूरी प्रक्रिया में करीब आठ घंटे तक का समय लगता है. नगर निगम से 6 रुपये प्रति किलो की दर से रॉ मैटेरियल प्लास्टिक कचरा खरीदा जाएगा. इस यूनिट में तैयार डीजल-पेट्रोल की सप्लाई किसानों के अलावा नगर निगम को भी होगी.