बर्फीले तूफान के बीच फंसे जो बाइडन, इस अफगानी ने बचाई थी जान

वॉशिंगटन. अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना के साथ अनुवादक के तौर पर काम करने वाले अमान खलीली ने आखिरकार काबुल छोड़ दिया है. अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को इसकी पुष्टि की. अमान खलीली ने 13 साल पहले जो बाइडनकी जान बचाई थी.
मामला 2008 का है. बाइडन तब डेलावेयर के सीनेटर हुआ करते थे. उनके साथ तब सीनेटर रहे जॉन केरी और चक हेगल भी अफगानिस्तान आए थे. बगराम एयरबेस से करीब 20 मील दूर भयंकर बर्फीला तूफान आया, जिसमें ब्लैक हॉक हेलिकॉप्टर्स फंस गए. उन्हें इमरजेंसी लैंडिंग करनी पड़ी. मोहम्मद अमान खलीली उस टीम का हिस्सा थे जो बगराम से मदद को भेजी गई. टीम को सीनेटर्स की लोकेशन तक पहुंचने के लिए भयंकर बर्फबारी के बीच पहाड़ी रास्तों में घंटों ड्राइव करना पड़ा.
तालिबान के सत्ता संभालते ही हजारों अफगानियों ने देश छोड़ने की कोशिश की. खलीली और उनके परिवार ने भी वीजा के लिए अप्लाई किया. लेकिन उन्हें वीजा नहीं मिला.मोहम्मद अमान खलीली बार-बार एक बात कहते हैं, ‘हैलो मिस्टर प्रेजिडेंट, मुझे और मेरे परिवार को बचा लीजिए. मुझे यहां छोड़कर मत जाइए.’
व्हाइट हाउस ने मोहम्मद अमान खलीली के मामले पर यह कहते हुए कुछ भी कहने से मना कर दिया कि वे हर एक मामले पर टिप्पणी नहीं कर सकते. व्हाइट हाउस के ही एक प्रतिनिधि ने विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन का बयान याद दिलाया जिसमें कहा गया था कि अमेरिका लगातार अफगान सहयोगियों की मदद करेगा. अफगानिस्तान से बाहर जाने की इजाजत देने के तालिबान के वादे को पूरा कराएगा.