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बचकर रहिए, मांगलिक कार्यक्रमों में दोस्त न बना ले कोरोना

आजमगढ़। कल क्या होगा कौन जानता है। आज वक्त है, तो खुशियां मना लो। कोरोना आएगा तो देखा जाएगा। शुक्रवार को एक मांगलिक कार्यक्रम में लोगों की ढिठाई देख लोग ऐसी की टिप्पणियां कर रहे थे। ढोल बजाकर लोगों को थिरकने को मजबूर कर हरे। दो युवक बगैर मास्क के दिखे। कमोबेश मांगलिक कार्यक्रम में मौजूद अधिकांश महिलाएं भी बगैर मास्क के ही मौजूद रहीं। सरकार कोरोना के पांव में लॉकडाउन की बेडिय़ां डालने की घोषणा कर चुकी है। ऐसे में हालात को समझकर सतर्क होने के बजाए लोग मनमानी पर आमादा हैं। शुक्रवार को मुख्य चौक के निकट एक मंदिर के सामने तो हदें पार करने वाला नजारा देख उधर से गुजरने वाले लोग, दुकानदार सन्न रह गए। महिलाएं ढोल बजाने वालों के साथ मंदिर में दर्शन करने पहुंची थी। उनके लौटने के दौरान कोरोना के बचाव के प्रति लापरवाही दिखी। दिलचस्प कि वहां पुलिस भी मौजूद रही लेकिन चुप्पी साधे नजारा देखती रही। खास बात तो यह रही कि चौक पर तैनात पुलिसकर्मी आम राहगीरों को तो रोकने में गुरेज नहीं करती है। जबकि सामूहिक खतरा वाले मामलों में कुछ भी बोलना मुनासिब नहीं समझती। यह तो रही मांगलिक कार्यक्रमों की तस्वीर, हकीकत तो यह है कि किसी भी सार्वजनिक आयोजन में शामिल होने अधिकांश चेहरों पर मास्क नजर नहीं आता है।

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