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बकरों की ऑनलाईन बिक्री शुरू,कोरोना संक्रमक ने बाजार पर भी रोक लगा दी

बिजनौर ईद-उल-अजहा अगस्त शनिवार को मनाया जाएगा। मुस्लिम समाज अल्लाह की राह में तीन दिनों तक कुर्बानी करेगा। कस्बे में कुर्बानी के जानवरों का बाजार ईद-उल-अजहा से दो सप्ताह पहले सजना शुरू हो जाता है, लेकिन इस बार कोरोना काल की वजह से कुर्बानी के जानवरों का बाजार नहीं दिख रहा है। हालांकि कुर्बानी के बकरे बिकने शुरू हो गए हैं। कस्बे के मुस्लिम बाहुल्य इलाका कोतवाली देहात,अकबराबाद,किरतपुर अन्य इलाकों में इस समय सुबह के समय बकरे बेचने के लिए विक्रेता घर-घर दस्तक दे रहे हैं। यह विक्रेता ज्यादातर दूसरे इलाकों के हैं, जो साल भर तक बकरे को पालते हैं, जिससे की बकरीद के समय में ऊंचे दाम इन लोगों को मिल सके। जो बकरा यह घरों तक ले जा रहें हैं, उसकी कीमत छह हजार से लेकर 15 हजार रुपए तक की हैं। इसके ज्यादा की कीमत का बकरा यह विक्रेता मोबाइल से फोटो दिखाकर सौदा कर रहे हैं। इसमें बकरों का वजन के साथ दांत भी देखा जा रहा है। कम दांत वाले बकरे की कीमत ज्यादा लग रही है। कम उम्र के बकरों की मांग सबसे ज्यादा हैं। सुभान कुरैशी बकरा विक्रेता ने बताया कि कोरोना के कारण बाजार नहीं पा रहा है। घर में जाने पर लोग हैरत में पड़ जाते हैं। जबकि हर रोज बकरे पर सौ से 150 रुपये खर्च होते हैं। बकरा सुबह चना, दाल के साथ दलिया का नाश्ता करता है। दोपहर मे हरा चारा जबकि शाम को बकरे को दूध दिया जाता है। कोरोना संक्रमक ने इस बार बकरा बेचने वालों की दुकानदारी बिगाड़ दी है। सुभान कुरेशी ने बताया कि 26 बकरे पाल रहे थे। जो खर्च हुआ है, अभी तक वहीं दाम निकालना मुश्किल लग रहा है। कुर्बानी के लिए जो मुस्लिम चार से पांच बकरे लेता था, वह इस बार एक से दो बकरे में ही काम चला रहा है। इस बार बकरीद में मुनाफा नहीं हो पाएगा।

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