फ्रैंक कामेनी ने समलैंगिकों की आवाज पहलीबार उठाकर सरकार को झुका दिया
वॉशिंगटन. फ्रैंक कामेनी , जिन्होंने साल 1957 में अमेरिकी सरकार के लिए खगोलशास्त्री के रूप में काम करना शुरू किया था, लेकिन उन्हें समलैंगिक होने के चलते नौकरी से निकाल दिया गया था. हालांकि, सरकार के इस फैसले को मानने के बजाए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया और 1960 के दशक में पहली बार समलैंगिक अधिकार के समर्थन में प्रदर्शन आयोजित किए. गूगल ने डूडल के जरिए समलैंगिक अधिकार कार्यकर्ता कामेनी का सम्मान किया है.
कामेनी को LGBTQ अधिकारों के लिए लड़ने वाले सबसे अहम चेहरों में से एक माना जाता है. उनका जन्म न्यूयॉर्क के क्वीन्स में साल 1925 में हुआ था. उन्होंने 15 साल की उम्र में फिजिक्स पढ़ने के लिए क्वीन्स कॉलेज में दाखिला लिया. अपने जीवनकाल में उन्होंने एक खगोलशास्त्री और समलैंगिक अधिकार कार्यकर्ता के रूप में काम किया.
दूसरे विश्व युद्ध में वे यूरोप में सेना का हिस्सा भी रहे. आर्मी से निकलने के बाद उन्होंने क्वीन्स कॉलेज का रुख किया और 1948 में फिजिक्स में ग्रेजुएशन की. बाद में उन्होंने हार्वर्ड विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट हासिल की. आर्मी मैप सेवा में खगोलशास्त्री के रूप में काम करने के दौरान उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया था. यहां नौकरी गंवाने की वजह उनकी समलैंगिकता बनी.
साल 1965 में व्हाइट हाउस और बाद में पेंटागॉन के बाहर विरोध प्रदर्शन करने वाले कामेनी और 10 अन्य इस मामले में पहले प्रदर्शनकारी बने. स्टोनवॉल दंगों के बाद कामेनी ने देश का पहला समलैंगिक अधिकार वकालत समूह तैयार किया. 70 के दशक की शुरुआत में उन्होंने समलैंगिकता को मानसिक परेशानी बताने वाले अमेरिकी साइकेट्रिक एसोसिएशन को खुलकर चुनौती दी. वहीं, 1975 में सिविल सर्विस कमीशन ने LGBTQ कर्मचारियों पर लगे प्रतिबंध को हटा लिया था.
1971 में अमेरिका कांग्रेस के लिए खड़े होने वाले कामेनी पहले गे बने. कामेनी को समलैंगिक अधिकारों का अगुवा कहा जाता है. साल 2009 में नौकरी से बर्खास्त किए जाने के 50 साल से ज्यादा समय के बाद कामेनी से अमेरिकी सरकार ने औपचारिक रूप से माफी मांगी.