फैटी हो गया है ? डाइट में करें इस 7 चीजों को शामिल
बदलता लाइफस्टाइल और खान-पान हमें अनजाने में ही कई परेशान करने वाली बीमारियों का शिकार बना देता है, उसी में से एक है फैटी लीवर। लीवर हमारे शरीर का अहम हिस्सा है जो खाने को पचाने में मदद करता है और शरीर को ऊर्जा देता है। किसी भी व्यक्ति के लिवर में वसा की मात्रा सामान्य से अधिक होने की स्थिति को फैटी लिवर कहा जाता है। लगभग एक-तिहाई अमेरिकी युवा फैटी लीवर की बीमारी से प्रभावित हुए है। जो लोग मोटे है या फिर फिजिकल वर्क कम करते है और अत्याधिक प्रसंस्कृत आहार का सेवन करते हैं उनमें फैटी लिवर की बीमारी अत्याधिक पाई जाती है। इस बीमारी का सबसे बड़ा निदान आपकी डाइट मे बदलाव है।
फैटी लीवर का मतलब है का आपके लीवर में वसा की मात्रा अधिक हो गई है। एक स्वस्थ शरीर में, लीवर विषाक्त पदार्थों को हटाने में मदद करता है और पित्त, डाइजेस्टीव प्रोटीन का निर्माण करता है। जब लीवर पर फैट अधिक हो जाता है तो वो लिवर को नुकसान पहुंचाता है और उसे सुचारू रूप से काम करने से भी रोकत है। इस बीमारी का उपचार आपकी डाइट से ही किया जा सकता है। अगर आपका लीवर फैटी है तो सबसे पहले वसायुक्त आहार को अपनी डाइट में शामिल करें। फल, सब्जियों का अधिक इस्तेमाल करें। नमक और चीनी से परहेज करें।
अगर आप भी फैटी लीवर की बीमारी से पीड़ित है तो सबसे पहले अपनी डाइट में इन चीजों को शामिल करें।
कॉफी – कई अध्ययनों में ये बात सामने आ चुकी है कि जो लोग कॉफी का सेवन करते है उनको फैटी लीवर का खतरा कम रहता है। कैफीन असामान्य लीवर एंजाइम की मात्रा को कम करती है और लीवर की हिफाजत करती है। कॉफी लीवर को सुरक्षा प्रदान करती है, इसलिए इस बीमारी से पीड़ित लोग कॉफी का सेवन करें।
ब्रॉकली और हरी सब्जियां वसा को करती हैं – चूहों पर किए गए अध्ययन के मुताबिक ब्रोकली लीवरट्रस्टेड सोर्स में वसा का निर्माण रोकने में मददगार है। पालक, ब्रसेल्स स्प्राउट्स और केल जैससाग अधिक खाने से वजन घटाने में मदद मिल सकती है। फैटी लिवर डाइट में ब्रोकली का उपयोग फैटी लिवर की समस्या को न केवल बढ़ने से रोक सकता है, बल्कि उससे निजात दिलाने में भी सहायक साबित हो सकता है। ब्रोकली में कुछ ऐसे दुर्लभ तत्व पाए जाते हैं, जो लिवर में ट्राइग्लिसराइड की मात्रा को कम करने का काम कर सकते हैं।
वसा को कम करता है टोफू – इलिनोइस विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने चूहों पर किए गए एक अध्ययन में पाया है कि सोया प्रोटीन, जो टोफू जैसे खाद्य पदार्थों में मौजूद होता है वो लीवर में वसा के निर्माण को कम कर सकता है। टोफू वसा में कम और प्रोटीन में उच्च होता है इसलिए लीवर के लिए फायदेमंद है।
फिश – फैटी लिवर की समस्या से जूझ रहे लोगों के लिए फैटी लिवर डाइट में फिश काफी लाभकारी साबित हो सकती है। फिश ऑयल में एन-3 पॉलीअनसैचुरेटेड फैटी एसिड पाया जाता है, जैसे ईकोसापेंटेनोइक एसिड और डोकोसाहेक्सैनोइक एसिड। मछली का तेल, सुक्रोज और फ्रुक्टोज से पैदा होने वाले नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज से निजात दिलाने में काफी मददगार साबित हो सकता है।
दलिया – ओटमील में बीटा-ग्लूकॉन भारी मात्रा में पाया जाता है जो मोटापे की समस्या को दूर करने में सहायक हो सकता है। चूंकि मोटापा फैटी लिवर का मुख्य कारण माना जाता है, इसलिए ऐसा कहा जा सकता है कि फैटी लिवर डाइट में ओटमील को शामिल करना इस बीमारी से निजात पाने में काफी मददगार साबित हो सकता है।
अखरोट – आहार में नट्स का सेवन नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज के जोखिम को कम करने में मददगार साबित हो सकता है। अखरोट में मौजूद विटामिन-ई और सेलेनियम एनएएफएलडी पर प्रभावकारी हो सकते हैं ।
एवोकाडो – शरीर में बढ़ता कोलेस्ट्रोल फैटी लिवर डिजीज का कारण बन सकता है। ऐसे में एवोकाडो का सेवन कोलेस्ट्रोल को कम कर इससे होने वाले फैटी लिवर डिजीज के जोखिम को कम कर सकता है।