फिर बनी World की सबसे प्रदूषित राजधानी…?
नई दिल्ली। फिर बनी World की सबसे प्रदूषित राजधानी…? दिल्ली को लगातार चौथे वर्ष World की सबसे प्रदूषित राजधानी घोषित किया गया है। दिल्ली के बाद बांग्घ्लादेश की राजधानी ढाका, चाड की राजधानी अन जामेना, ताजिकिस्तान की राजधानी दुशांबे और ओमान की राजधानी मस्कट का नाम लिस्ट में शामिल है. सेंट्रल एवं साउथ एशिया के सबसे प्रदूषित 15 शहरों में से 12 भारत में ही स्थित हैं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सबसे खराब वायु गुणवत्ता वाले 50 शहरों में से 35 शहर भारत में थे।
लगातार चौथे साल नहीं बदले हालात
2021 में, भारत के किसी भी शहर ने निर्धारित विश्व स्वास्थ्य संगठन के वायु गुणवत्ता मानकों को पूरा नहीं किया। स्विस संगठन एक्यूएआईआर द्वारा तैयार की गई विश्व वायु गुणवत्ता रिपोर्ट 2021 में ये बातें कही गई हैं और इसे मंगलवार को वैश्विक स्तर पर जारी किया गया। दिल्ली में साल 2021 में पीएम 2.5 कणों की मात्रा में 14.6 फीसदी का उछाल दर्ज किया गया। 2020 में जहां यह 84 था तो वहीं 2021 में यह बढ़कर 96.4 हो गया। भारत के 48 फीसदी शहरों में का वार्षिक औसत 50 से ज्यादा दर्ज किया गया जो कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के वायु गुणवत्ता निर्देशों की तुलना में 10 गुना से भी अधिक है।
पराली का जलाना भारत में सामान्य है
World विशेष रूप से ठंड के मौसम में दिल्ली के आसपास धान के खेतों में। पराली जलाए जाने के मौसम में शहर में प्रदूषण की 45 फीसदी वजह उसका धुआं ही होता है। यह सारे तथ्य मंगलवार को जारी 2021 वर्ल्ड एयर क्वालिटी रिपोर्ट में सामने आए। इस रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में केवल 3 फीसदी शहर ही डल्यूएचओर द्वारा जारी पीएम 2.5 वार्षिक वायु गुणवत्ता निर्देशों पर खरे उतरे हैं जबकि कोई भी देश ऐसा करने में कामयाब नहीं रहा।
रिपोर्ट में 117 देशों और क्षेत्रों के 6,475 शहरों में वायु निगरानी स्टेशनों से पीएम2.5 वायु प्रदूषण माप का विश्लेषण किया गया है। 2021 वर्ल्ड एयर क्वालिटी रिपोर्ट पहली ऐसी वैश्विक रिपोर्ट है जो पीएम 2.5 को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन के अपडेटेड वार्षिक वायु गुणवत्ता दिशानिर्देशों पर आधारित है। नए दिशानिर्देश सितंबर 2021 में जारी किए गए थे।
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फाइन पार्टिकल पाल्यूशन, जिसे पीएम 2.5 के नाम से जाना जाता है, उसे सामान्यत सबसे हानिकारक वायु प्रदूषक के रूप में स्वीकार किया जाता है और इसे दमा, स्ट्रोक, हृदय और फेफड़े के रोगों के लिए जिम्मेदार पाया गया है। पीएम 2.5 की वजह से हर साल दुनिया में लाखों लोगों की असमय मौत हो जाती है. रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्षों में शामिल है कि कोई भी देश 2021 में पीएम 2.5 के लिए नए वायु गुणवत्ता दिशानिर्देशों को पूरा नहीं करता है।