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प्रदेश में के कई टाइगर रिजर्व कर्मचारी ने लगाई गुहार?

नई दिल्ली।प्रदेश में के कई टाइगर रिजर्व कर्मचारी ने लगाई गुहार?  उत्तर प्रदेश के चार टाइगर रिजर्व (बाघ संरक्षित क्षेत्र) के दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को 11 महीने का बकाया वेतन दिलाए जाने की मांग वाली जनहित याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर हुई है। याचिका में अपील की गई है कि केंद्र, उत्तर प्रदेश और नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथारिटी को दैनिक वेतनभोगियों के कल्याण के लिए रिपोर्ट बनाने को समिति गठित करने का निर्देश भी दिया जाए क्योंकि वन क्षेत्र में कार्य करने वाले इन कर्मचारियों को प्रतिदिन कार्य के दौरान तमाम तरह की मुश्किलें आती हैं।

बिना वेतन कार्य कर रहे उप्र टाइगर रिजर्व कर्मचारी, सुप्रीम कोर्ट में लगाई गुहार

जिन टाइगर रिजर्व के कर्मचारियों के वेतन भुगतान के लिए याचिका दायर की गई है, वे पीलीभीत टाइगर रिजर्व, दुधवा टाइगर रिजर्व, अमानगढ़ टाइगर रिजर्व और कतरनिया घाट टाइगर रिजर्व हैं। अधिवक्ता गौरव बंसल द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि इन दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को मिलने वाला वेतन बहुत कम है जबकि वास्तव में ये कर्मचारी जंगल में वन विभाग प्रशासन के आंख और कान हैं।

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याचिकाकर्ता ने कहा है कि उसने 20 से ज्यादा ऐसे कर्मचारियों से बात की है। पता चला है कि 11 महीने से वेतन न मिलने के कारण वे और उनके परिवार गंभीर आर्थिक मुश्किलों के बीच जीवन निर्वाह कर रहे हैं। इनमें से एक कर्मचारी की पत्नी ने तो आर्थिक तंगी के चलते आत्महत्या भी कर ली है। आर्थिक तंगी के चलते पीलीभीत, दुधवा और अमानगढ़ रिजर्व के कर्मचारियों के भुखमरी के शिकार होने का खतरा है। बिना वेतन के वन और वन्य जीवों की देखभाल कर रहे कर्मचारियों की संख्या 1,200 से ज्यादा है। इसलिए शीर्ष न्यायालय उनके कल्याण के लिए अविलंब अपना फैसला दे।

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