उत्तर प्रदेश

पूर्व गृह राज्य मंत्री श्वामी चिन्मयानन्द यौनउत्पीडन मामले में बरी ,छात्रा व उसके साथियो को राहत

लखनऊ :शाहजहांपुर की छात्रा के साथ यौन संबध बनाने के लिए उसे बंधक बनाकर रखने के मामले में पूर्व गृह राज्यमंत्री स्वामी चिन्मयानंद को बड़ी राहत मिली है। एमपीएमएलए कोर्ट के विशेष जज पवन कुमार राय ने उन्हें बरी कर दिया है। रंगदारी और जानमाल की धमकी के मामले में चिन्मयानंद के ही एसएस लॉ कालेज के हास्टल में रहने वाली छात्रा और पांच अन्य अभियुक्त संजय सिंह, डीपीएस राठौर, विक्रम सिंह, सचिन सिंह व अजीत सिंह को भी साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया गया है।

शुक्रवार को फैसला सुनाए जाने के वक्त सभी अभियुक्त विशेष अदालत में उपस्थित थे। नौ अक्टूबर 2020 को गवाही के दौरान पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री स्वामी चिन्मयानंद पर लगाए गए आरोपों से छात्रा मुकर गई थी। लिहाजा अभियोजन ने इसे पक्षद्रोही घोषित कर दिया था। उसके खिलाफ सीआरपीसी की धारा 340 के तहत मुकदमे की अर्जी भी दी थी। दूसरी तरफ छात्रा व अन्य मुल्जिमों के खिलाफ रंगदारी व जानमाल की धमकी के मामले में भी गवाह पक्षद्रोही हो गए थे।
20 सितंबर, 2019 को इस मामले में स्वामी चिन्मयानंद को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में जेल भेजा गया था। चार नवंबर, 2019 को इस मामले की विवेचक व एसआईटी की निरीक्षक पूनम आंनद ने उनके खिलाफ आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप पत्र दाखिल किया था। 13 पन्ने के इस आरोप पत्र में 33 गवाहों के नाम व 29 दस्तावेजी साक्ष्यों की सूची थी। 21 दिसबर, 2019 को शाहजहांपुर की सीजेएम अदालत ने मुकदमे की पत्रावली विचारण के लिए सत्र अदालत को भेज दिया था। लेकिन तीन फरवरी, 2020 को हाईकोर्ट की इलाहाबाद खंडपीठ के एक आदेश से मामले को शाहजहांपुर की अदालत से लखनऊ में एमपीएमएलए की विशेष अदालत को स्थानांतरित की गई। हाईकोर्ट से इसी दिन अभियुक्त चिन्मयानंद की जमानत अर्जी भी मंजूर हुई थी।
27 अगस्त, 2019 को छात्रा के पिता ने शाहजहांपुर के थाना कोतवाली में एफआईआर दर्ज कराई थी। इसके मुताबिक उनकी पुत्री एलएलएम कर रही है। वह एक कॉलेज के हॉस्टल में रहती थी। 23 अगस्त से उसका मोबाइल बंद है। फेसबुक पर उनकी बेटी के एक वायरल वीडियो के अनुसार स्वामी चिन्मयानंद व कुछ अन्य लोगों ने छात्रा व अन्य लड़कियों का शारीरिक शोषण व दुष्कर्म किया और जान से मारने की धमकी दी गई। पिता ने कहा, मुझे पूरा विश्वास है कि मेरी पुत्री के साथ कोई अप्रिय घटना करके कहीं गायब कर दिया गया है। जब मैंने स्वामी जी से मोबाइल पर सम्पर्क किया, तो सीधे मुंह बात नहीं कर उन्होंने मोबाइल बंद कर लिया। उनकी पुत्री के कमरे में ताला बंद है। उसमें साक्ष्य व सबूत हैं। अभियुक्तगण राजनैतिक व सत्ता पक्ष के दबंग किस्म के लोग हैं, साक्ष्य से छेड़छाड़ कर सकते हैं। लिहाजा उसका कमरा व वीडियो मीडिया के सामने सील किया जाए।
25 अगस्त, 2019 को रंगदारी मामले की एफआईआर वकील ओम सिंह ने शाहजहांपुर के थाना कोतवाली में दर्ज कराई। इसके मुताबिक किसी अज्ञात व्यक्ति ने मोबाइल से पांच करोड़ की मांग की। यह धमकी देते हुए कि यदि रुपयों का इंतजाम नहीं किया, तो समाज में बदनाम कर दूंगा। यह भी धमकी दी गई कि मेरे पास एक वीडियो है, जिसे वायरल कर दूंगा। मुझे आशंका है कि एक साजिश के तहत कुछ लोगों द्वारा धन उगाही व चरित्र हनन का प्रयास किया जा रहा है। साथ ही डर का माहौल पैदा कर शिक्षण संस्थान को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है। चार नवंबर, 2019 को इस मामले में अन्तःवासी छात्रा व अन्य अभियुक्तों के खिलाफ आईपीसी और आईटी एक्ट की धाराओं के तहत आरोप पत्र दाखिल किया गया। इसमें कुल 28 गवाह व 26 दस्तावेजी साक्ष्यों की सूची दाखिल की गई थी। छह नवंबर, 2019 को अदालत ने इस आरोप पत्र पर संज्ञान लिया था।

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