माओवादी इस पुल के निर्माण का लगातार विरोध !!

छत्तीसगढ़ | छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में नक्सलियों ने निजी कंपनी के इंजीनियर और उसके सहयोगी का अपहरण कर लिया है। माओवादियों ने इंद्रावती नदी पर निर्माणाधीन पुल का काम करवा रहे इंजीनियर को अगवा किया है। जिस इलाके से इंजीनियर को अपहरण किया गया है वह बेहद संवेदनशील इलाका है। बस्तर आईजी ने कहा कि कुछ ग्रामीणों द्वारा यह जानकारी मिली है कि नदी के दूसरे छोर से इंजीनियर और उनके सहयोगी को कुछ संदिग्ध अपने साथ ले गए हैं। इसकी तस्दीक की जा रही है। मामला बेदरे थाना क्षेत्र का है।
ग्राम वासियों ने सम्मान में फैसला किया; 14 गांवों के लोग उनके स्वागत समारोह में शामिल;
दरअसल बीजापुर जिले में इंद्रावती नदी पर बेदरे गांव में पुल निर्माण का कार्य लगभग 5 महीने पहले शुरू हुआ है। इस पूल के निर्माण के बाद अबूझमाड़ के पहुंचविहीन क्षेत्रों तक सड़क बन पाना संभव हो पाएगा। यही वजह है कि माओवादी इस पुल के निर्माण का लगातार विरोध कर रहे हैं।
गंगालूर में इंजीनियर व प्यून का किया था अपहरण
निर्माण कार्यों का माओवादियों द्वारा लगातार विरोध किया जा रहा है, जिसे देखते हुए नदी के किनारे ही सुरक्षाबलों का एक कैंप भी स्थापित किया गया है। नवंबर महीने में बीजापुर जिले के गंगालूर क्षेत्र से प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के सब इंजीनियर अजय रोशन लकड़ा और प्यून लक्ष्मण परतगिरी का अपहरण नक्सलियों ने किया था। चपरासी को छोड़ दिया था, लेकिन इंजीनियर को नक्सलियों ने लगभग एक सप्ताह तक अपने पास रखा था। इंजीनियर की पत्नी उसे छुड़ाने के लिए सप्ताहभर तक जंगलों में घूम रही थी।
पुल निर्माण का काम बिलासपुर के ठेकेदार अशोक मित्तल द्वारा करवाया जा रहा है। शुक्रवार को निजी कंपनी के इंजीनियर अशोक पवार और उनके सहयोगी आनंद नदी पार कर दूसरी ओर गए थे, जो अब तक वापस नहीं लौटे हैं। दोनों को बंदूक की नोंक पर नक्सलियों द्वारा अपहरण की आशंका जताई जा रही है।
कुछ संदिग्धों द्वारा ले जाने की जानकारी मिली है
बस्तर आईजी सुंदरराज पी ने बताया कि कुछ ग्रामीणों द्वारा यह जानकारी मिली है कि नदी के उस पार से इंजीनियर और उनके सहयोगी को कुछ संदिग्ध अपने साथ ले गए हैं। हालांकि अब तक अपहरण जैसी किसी घटना की जानकारी नहीं मिली है, लेकिन मामले की छानबीन की जा रही है। आपको बता दें कि इंद्रावती नदी पर पुल निर्माण के बाद अबूझमाड़ में बसे कई गांव तक पहुंचना आसान हो जायेगा। फिलहाल वह इलाका पूरी तरह माओवादियों के कब्जे में हैं और पहुंचविहीन होने की वजह से उनका गढ़ है।