कानपुर

पुलिस ने बार चुनाव के विवाद के दौरान असलहे लगाकर घूमने वालों पर नहीं की कार्रवाई 

कानपुर। बार एसोसिएशन के चुनाव के एक हफ्ते पहले से एल्डर्स कमेटी ने गाइडलाइन जारी की थी। लेकिन गाइडलाइन का कहीं से भी पालन होता नहीं दिखा,जमकर धज्जियां उड़ाई जाती रही। चुनाव के दौरान विवाद होता रहा। खुलेआम फायरिंग भी हुई,कुछ शख्स असलहे लगाकर घूम भी रहे थे। जिसके बारे में पुलिस को जानकारी भी थी लेकिन उन पर कोई कार्रवाई नहीं की। पुलिस ने कहीं पर भी कोई सख्ती नहीं की। पुलिस की सख्ती रहती और जांच पड़ताल की होती तो शायद इतनी बड़ी वारदात नहीं होती।

कचहरी परिसर में अगर कोई भी अवैध असलहे लेकर पहुंचता है तो सीधे तौर पर वहां की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े होते हैं। आखिर सुरक्षाकर्मी क्या कर रहे थे,जो आसानी से असलहे भीतर तक पहुंच गए। उसी से हवाई फायरिंग भी की गई। हालांकि चुनाव से पहले सुरक्षा व्यवस्था को लेकर पुलिस अफसरों ने बैठक कर पुलिसकर्मियों को निर्देश भी दिए थे।
विवाद के बाद चुनाव स्थगित कर दिया गया। कचहरी में एसीपी कोतवाली,एसीपी अनवरगंज,एसीपी कर्नलगंज आदि लोगों की ड्यूटी लगी हुई थी। करीब साढ़े छह बजे यह भी शताब्दी गेट से हटकर सिविल लाइंस चौकी चले गए थे। वहां से जाने के करीब दस मिनट बाद ही गोली कांड हो गया था। यह पुलिस की बड़ी लापरवाही रही।
सीसीटीवी फुटेज में चेहरे स्पष्ट नहीं
पुलिस कमिश्नर समेत अन्य सभी पुलिस अफसरों ने कई घंटे तक सीसीटीवी फुटेज देखे। फुटेज में अधिवक्ता की ड्रेस में कई लोग नजर आ रहे हैं। हालांकि फुटेज साफ नहीं है। लिहाजा लोगों की पहचान करना संभव नहीं हो पा रहा है। इसलिए पुलिस कमिश्नर ने अपील की है कि घटना के जो चश्मदीद हैं वह पुलिस अफसरों से मिलकर पूरी जानकारी दें। अगर वह चाहेंगे तो उनका नाम आदि गोपनीय रखा जाएगा।
इरादा हत्या का नहीं था
हत्यारोपी तरु ने पुलिस को बताया कि चुनाव रद्द हुआ तो खुशी हुई, क्योंकि उन्हें लग रहा था कि उनका उम्मीदवार हार रहा है। इस खुशी में उसने अपने तमंचे से फायर किया। एक गोली चलने के बाद उसने दूसरा कारतूस भरने के लिए तमंचा खोला। तभी पहले वाला खाली खोखा गिर गया, जो पुलिस को मिला। दूसरा कारतूस भरकर तमंचा बंद करने के दौरान गोली चल गई जो कि सामने खड़े गौतम को जा लगी। उसने बयान में स्वीकार किया कि गोली उसके हाथों से चली थी लेकिन इरादा हत्या का नहीं था। उसने गौतम को अपना गहरा दोस्त बताते हुए दावा किया है कि वह दोनों एक ही उम्मीदवार के पक्ष में चुनाव प्रचार कर रहे थे, ऐसे में किसी प्रकार के वर्चस्व की लड़ाई का सवाल ही नहीं था। इस घटना के बाद वह लोग उसे लेकर उर्सला पहुंचे और भर्ती कराया। हालत नाजुक देखकर वह वहां से फरार हो गया।

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