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पुलिस के कड़े पहरे के बावजूद नहीं टूटने दी 200 साल पुरानी परंपरा, खेला गया हिंगोट युद्ध

इंदौर :गौतमपुरा में धोक पड़वा पर दो दलों के बीच होने वाले हिंगोट युद्ध पर कोरोना काल के कारण प्रशासन ने सख्ती से मनाई की थी की युद्ध इस बार नहीं होगा, प्रशासन में जिस मैदान में युद्ध होता है वहां पुलिस का पहरा लगा दिया है जिसके कारण कोई भी योद्धा उस मैदान में ना आ सके,साथ ही इसका विरोध भी हुआ था क्षेत्रीय विधायक ने भी विरोध दर्ज कराया था, आपको बता दें यह परंपरा लगभग पिछले सो वर्षों से अधिक समय से गौतमपुरा में चली आ रही है गौतमपुरा में हर साल दिवाली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा धोक पड़वा पर हिंगोट युद्ध दो दल तुर्रा ओर रुणजी के वीर कलंगी योद्धाओ के बीच होता आया है, पर इस बार कोरोना के कारण बड़ा आयोजन नहीं करवाए जाने के निर्देश दिए थे ऐसे कार्यक्रम में जिसमें बड़ी संख्या में लोग जुटते हैं हिंगोट युद्ध को दूर-दूर से लोग देखने आते हैं ऐसे में यहां 15,000 से ज्यादा भीड़ हमेशा जुटती रही है इसलिए आयोजन की अनुमति प्रशासन ने नहीं दी थी पुलिस और प्रशासन की सख्ती के बावजूद रविवार शाम परंपरा निभाने के लिए कलंगी और तुर दल घरों की छत पर चढ़ गए योद्धाओं ने यहीं से हिंगोट फेंकने शुरू कर दिए हिंगोट एक्टेड एक पुलिस ने गलियों में दौड़ लगा ली पुलिस को देख चुप जाते जैसे ही पुलिस आगे बढ़ती तो फिर हिंगोट छोड़ देते ऐसा लग रहा था मानो पुलिस और योद्धाओं के बीच हिंगोट युद्ध हो गया है वही एक योद्धा ने पुलिस पर भी हिंगोट फेंका वही एक योद्धा मैदान में आकर हिंगोट फेंकने लगा मैदान में युद्ध नहीं होने देने के कारण गुस्से में हिंगोट और ढाल प्ले कर सड़क पर उतर आया पुलिस ने उसे रोकने की कोशिश की पर उसने पुलिस पर ही हिंगोट छोड़ दिया हिंगोट सिपाही के हाथ से टकराया और नीचे गिर गया। गनीमत रही कि पुलिस जवान को कुछ नहीं हुआ इस प्रकार तुर्रा दल का एक योद्धा चोरी छुपे हिंगोट युद्ध होने वाले मैदान में जा पहुंचा वहां एक हिंगोट छोड़ दिया उसके बाद पुलिस ने उसे दबोचा और थाने पहुंचाया फिर हिंगोट छोडऩे वाले अन्य 3 योद्धाओं को भी पकड़ कर थाने बैठा लिया आपको बता दें प्रशासन द्वारा अनुमति नहीं मिलने के बाद भी योद्धा युद्ध के लिए तैयार थे हिंगोट तैयार कर रखे थे योद्धाओं का कहना था वही योद्धा ने बताया की सदियों पुरानी परंपरा है जो विरासत में मिली है जब चुनाव हो सकते हैं तो युद्ध की अनुमति क्यों नहीं हमारा युद्ध भले ही 15 मिनट चले लेकिन परंपरा कायम रहनी चाहिए।

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