पुतिन के Proposal पर विचार कर रही Modi government….?

नई दिल्ली। पुतिन के Proposal पर विचार कर रही Modi government….? रूस और यूक्रेन के बीच भीषण युद्ध जारी है और इसे 18 दिन बीत चुके हैं। एक ओर जहां रूसी हमलों ने यूक्रेन में शहर के शहर तबाह कर दिए हैं, तो वहीं दूसरी ओर अमेरिका समेत अन्य देशों के प्रतिबंधों से रूस की हालत भी पस्त होती जा रही है। इस बीच भारत की ओर से रूस के लिए राहत भरी खबर है। दरअसल, एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि भारत रियायती रूसी तेल और अन्य वस्तुएं खरीदने पर विचार कर रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक, ऐसी संभावना बन रही है कि भारत रूस की ओर से दिए गए प्रस्ताव पर विचार कर सकता है।
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से सस्ता तेल खरीदने की तैयारी
यहां बता दें कि यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद रूस पर एक के बाद एक आर्थिक प्रतिबंध लगाए गए हैं। अमेरिका और यूरोपीय देशों ने रूस पर तेल आयात से लेकर कई तरह के प्रतिबंधों की बौछार कर दी है। जो कि रूसी अर्थव्यवस्था के लिए बड़ी मुसीबत बनती जा रही है। गौरतलब है कि यूक्रेन पर रूस के हमले को देखते हुए अमेरिका और यूरोपीय देशों ने रूस पर जो प्रतिबंध लगाए हैं, उनके बीच एक रिपोर्ट में कहा गया कि रूस की तेल कंपनियां भारत को कच्चे तेल की कीमत पर 25 से 27 प्रतिशत तक की छूट की पेशकश कर रहीं हैं।
रूस की सबसे बड़ी सरकारी तेल कंपनी रोसनेफ्ट से भारत अधिक मात्रा में कच्चा तेल खरीदता है।
दिसंबर 2021 में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भारत दौरे के दौरान रोसनेफ्ट और इंडिया आयल कार्पोरेशन के बीच 2022 के अंत तक नोवोरोस्सिएस्क बंदरगाह के जरिए भारत को 2 करोड़ टन तक तेल की आपूर्ति के लिए एक अनुबंध साइन किया था। गौरतलब है कि पुतिन के युद्ध की घोषणा के बाद से ही एनर्जी एक्सपोर्ट में व्यवधान की आशंका बढ़ गई थी, जो अब साफतौर पर दिखाई देने लगी है।
आपको बता दें कि रूस दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा तेल उत्पादक है,
जो मुख्य रूप से यूरोपीय रिफाइनरियों को कच्चा तेल बेचता है। यूरोप के देश 20 फीसदी से ज्यादा तेल रूस से ही लेते हैं। इसके अलावा, ग्लोबल उत्पादन में विश्व का 10 फीसदी कापर और 10 फीसदी एल्युमीनियम रूस बनाता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, रूस संयुक्त रूप से कच्चे और तेल उत्पादों का दुनिया का शीर्ष निर्यातक है, जो प्रति दिन लगभग सात मिलियन बैरल या वैश्विक आपूर्ति का सात फीसदी शिपिंग करता है। गौरतलब है कि भारत कच्चे तेल का बड़ा आयातक है और यह अपनी जरूरत का 85 फीसदी से ज्यादा कच्चा तेल बाहर से खरीदते हैं।
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आयात किए जा रहे कच्चे तेल की कीमत भारत को अमेरिकी डालर में चुकानी होती है। ऐसे में कच्चे तेल की कीमत बढ़ने और डालर के मजबूत होने से घरेलू स्तर पर पेट्रोल-डीजल के दाम प्रभावित होते हैं यानी ईंधन महंगे होने लगते हैं। अगर कच्चे तेल की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में बढ़ती है तो जाहिर है भारत का आयात बिल बढ़ जाएगा। एक रिपोर्ट में उम्मीद जताई गई है कि भारत का आयात बिल 600 अरब डालर पार पहुंच सकता है।