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पाक ‘तानाशाह’ की लंबाई पर जब शास्त्री जी ने दिया था ये जवाब

भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की आज 116वीं जयंती है। 2 अक्तूबर 1904 को उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में उनका जन्म हुआ था। उनके पिता एक स्कूल शिक्षक थे। आज हम देश के पूर्व प्रधानमंत्री के बारे में ऐसी कुछ बातें बता रहे हैं, जो आपको भारतवासी होने पर गर्व कराएंगी। आगे पढ़ें

- लाल बहादुर शास्त्री जब डेढ़ साल के थे, तभी उनके पिता का निधन हो गया था। उनका पालन पोषण वाराणसी में उनके एक चाचा के घर हुआ। घर पर उन्हें नन्हे कहकर बुलाया जाता था।
- ‘नन्हे’ शास्त्री जी कई किमी पैदल चलकर स्कूल जाते थे। तपती गर्मी में भी नंगे पैर, क्योंकि उनके पास जूते नहीं थे।
- 16 साल की उम्र में ही शास्त्री जी अपनी पढ़ाई छोड़ कर महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन से जुड़ गए।
- बाद में उन्होंने काशी विद्या पीठ में दाखिला लिया। जहां ‘शास्त्री’ की उपाधि से नवाजा गया। यह उपाधि हमेशा के लिए उनके नाम का हिस्सा बन गई।
- 1965 में जब भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ, तब लाल बहादुर शास्त्री ही प्रधानमंत्री थे।
- उस युद्ध में भारत की जीत में लाल बहादुर शास्त्री के निर्भीक और बुलंद फैसलों ने बड़ी भूमिका निभाई।
- तत्कालीन प्रधानमंत्री के निर्देशों का पालन करते हुए भारतीय थल सेना के बहादुर जवानों ने पाकिस्तानी घुसपैठियों को खदेड़ भगाया।

युद्ध में जीत के बाद लाल बहादुर शास्त्री पाकिस्तान के तत्कालीन ‘तानाशाह’ राष्ट्रपति अयूब खान से मिलने ताशकंद जा रहे थे। रास्ते में एक शख्स ने भारतीय प्रधानमंत्री से पूछा – ‘आपकी कद में काफी छोटे हैं, जबकि अयूब खान काफी लंबे हैं। आप उनका सामना कैसे करेंगे?’

उस सवाल के जवाब में लाल बहादुर शास्त्री ने जो जवाब दिया, उससे देश की शान और बढ़ गई।
उन्होंने जवाब दिया – ‘वो सिर झुकाकर बात करेंगे और मैं सिर उठाकर बात करूंगा।’