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पाकिस्तान को लगेगा एक और झटका? FATF की बैठकों में हो सकता है बड़ा फैसला

नई दिल्ली :फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स गुरुवार से बैठकों का दौर शुरू करने जा रहा है, जिसमें इस बात की समीक्षा की जाएगी कि पाकिस्तान ने आतंकवादी संगठनों को वित्तीय सहयता मुहैया कराने के खिलाफ कितने ठोस कदम उठाए हैं। हालांकि, मिल रहे संकेतों की मानें तो अभी भी पाकिस्तान को कई कदम उठाने की जरूरत है। ऐसे में बैठक में कोई बड़ा फैसला संभव है, जोकि इमरान खान के लिए काफी तकलीफ वाला हो सकता है। फरवरी 22-25 के दौरान महत्वपूर्ण बैठक से पहले 11 से 19 फरवरी के बीच एफएटीएफ के वर्किंग ग्रुप्स की 8 बैठकें होंगी, जो पाकिस्तान के मामले पर अंतिम फैसला लेंगी। सभी बैठकें कोरोना वायरस महामारी की वजह से वर्चुअल तरीके से हो रही हैं।

हाल के महीनों में पाकिस्तान ने कुछ कदम जरूर उठाए हैं, जैसे कि लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद और उसके कुछ सहयोगियों को सजा देना, लेकिन पूरे मामले पर नजर रखने वाले कुछ लोगों ने नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर बताया कि अभी भी पाकिस्तान ने एफएटीएफ के एक्शन प्लान के सभी 27 बिंदुओं को पूरा नहीं किया है। ऊपर बताए गए एक शख्स ने बताया, ”जब भी पाकिस्तान के ऊपर आतंकवाद को लेकर पश्चिमी देशों से दबाव पड़ता है तो वह कुछ ऐसे कदम उठाता है। हालांकि, ये कदम आतंकवाद को रोकने के लिए पूरी तरह से काफी नहीं होते हैं।”

अक्टूबर में अपनी आखिरी प्लेनरी के समापन पर, एफएटीएफ ने पाकिस्तान को इस साल फरवरी तक का समय दिया था कि वह आतंक के वित्तपोषण से निपटने की कोशिशों को सामने रखे। पाकिस्तान को एफएटीएफ ने जून 2018 में ग्रे लिस्ट में रखा था, जिसे पिछली बार भी जारी रखा गया। एफएटीएफ के अध्यक्ष मार्कस प्लेयर ने पिछले साल पाकिस्तान को आगाह किया था कि उसे इस तरह के मुद्दों को हल करने के लिए जिंदगीभर का मौका नहीं दिया जाएगा और एक्शन प्लान देने में बार-बार असफल होने पर उसे ब्लैक लिस्ट में डाल दिया जाएगा। प्लेयर ने यह भी कहा था कि पाकिस्तान ने एक्शन प्लान के 27 में से 21 बिंदुओं का पूरा पालन किया है।

लोगों ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा नामित आतंकी समूहों द्वारा धन जुटाने, संयुक्त राष्ट्र-सूचीबद्ध व्यक्तियों की सजा, नशीले पदार्थों के जरिए से आतंक के वित्तपोषण पर रोक लगाने और कीमती रत्नों की तस्करी के खिलाफ पाकिस्तान द्वारा की गई कार्रवाई में कमी थी। उन्होंने बताया कि अफगान में शांति स्थापित करने की प्रक्रिया में पाकिस्तान की भूमिका को देखते हुए माना जा रहा है कि उसे अभी ग्रे लिस्ट में ही रखा जाएगा और कोई भी अन्य एक्शन नहीं लिया जाएगा। ज्यादातर पश्चिमी देश अफगानिस्तान से अपने सैनिकों को वापस बुलाना चाहते हैं और यह पाकिस्तान के बगैर संभव नहीं हो सकेगा।

एफएटीएफ की होने वाली बैठकों से पहले, पाकिस्तान के नागरिक और सैन्य नेतृत्व ने अफगानिस्तान की अशांति और कथित रूप से आतंकी समूहों का समर्थन करने के लिए भारत को दोषी ठहराने के लिए एक ठोस अभियान शुरू किया है। विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी सहित कई नेताओं ने वॉट्सऐप चैट के ट्रांसक्रिप्ट, ईयू डिसिनफोलैब की एक रिपोर्ट आदि के जरिए से एक नैरेटिव गढ़ने की कोशिश की है कि पाकिस्तान को अस्थिर करने में भारत की भूमिका है। हालांकि, भारत ने इन आरोपों को पूरी तरह से खारिज कर दिया है।

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