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पाकिस्तान को एफएटीएफ से मिला झटका, इमरान की कोशिशें हुईं बेकार

एशिया पैसिफिक ग्रुप (एपीजी) की रिपोर्ट से पाकिस्तान को करारा झटका लगा है। एपीजी की फाइनल रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान ने मनी लॉन्डरिंग और आतंकवाद के वित्त पोषण को लेकर संतोषजनक कदम नहीं उठाया है।एपीजी ने मनी लॉन्डरिंग पर अपनी रिपोर्ट फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की समग्र बैठक से 10 दिन पहले जारी की है। इस बैठक में ही रिपोर्ट के आधार पर पाकिस्तान के ग्रे लिस्ट में बने रहने पर फैसला होना है।

एपीजी की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 1267 के तहत आतंकवादी संगठनों के खिलाफ कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। इसको लेकर 13 और 18 अक्तूबर के बीच एफएटीएफ की बैठक होगी। 

कश्मीर मामले को लेकर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान पहले से ही अलग-थलग पड़े हैं। इस रिपोर्ट के बाद से इमरान की मुसीबतें और बढ़ सकती हैं। गौरतलब है कि 27 सितंबर को इमरान ने यूएन की आम सभा में कहा था कि भारत, पाक को एफएटीएफ की ब्लैकलिस्ट में डलवाने की कोशिश कर रहा है।

जून 2018 में पाकिस्तान का नाम ग्रे लिस्ट में आया था। उस समय चीन और तुर्की ने पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट में आने से बचने में मदद की थी। ग्रे लिस्ट में नाम आने से पाकिस्तान को हर साल लगभग 10 बिलियन डॉलर का नुकसान हो रहा है।

क्या है एफएटीएफ

एफएटीएफ एक अंतरराष्ट्रीय संस्था है, जिसकी स्थापना जी7 देशों की पहल पर 1989 में की गई थी। इसका मुख्यालय पेरिस में है। ये संस्था दुनिया भर में हो रही मनी लॉन्ड्रिंग से निपटने के लिए नीतियां बनाती है। 2001 में इसने अपनी नीतियों में चरमपंथ के वित्तपोषण को भी शामिल किया था।

इसके कुल 38 सदस्य देश हैं, जिनमें भारत, अमरीका, रूस, ब्रिटेन, चीन भी शामिल हैं। जून 2018 से पाकिस्तान दुनिया भर की मनी लॉन्ड्रिंग पर नजर रखने वाली संस्थाओं के निशाने पर है। चरमपंथियों को फंडिंग करने और मनी लॉन्ड्रिंग के खतरे को देखते हुए संस्था ने पाक को ‘ग्रे लिस्ट’ में डाल दिया था। ग्रे लिस्ट में पाक के अलावा सर्बिया, श्रीलंका, सीरिया, त्रिनिदाद, ट्यूनीशिया और यमन भी हैं।

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