पवित्रता और वीभत्सता का संगम अघोरी?
नई दिल्ली: भगवान शिव के उपासक अघोरियों का नाम सुनते ही बड़ी-बड़ी जटाएं रखने वाले राख में लिपटे नागा बाबाओं की तस्वीर जेहन में आ जाती है. इनका जीवन भी इनकी वेश-भूषा जैसा ही रहस्यमयी और रोचक है. बल्कि यूं कहें कि ज्यादातर लोगों के लिए तो रोंगटे खड़े करने वाला है. श्मशान घाटों में रहने वाले इन अघोरियों के लिए महाशिवरात्रि की रात बेहद खास होती है. आइए महाशिवरात्रि के मौके पर जानते हैं उनके उपासक अघोरियों के जीवन से जुड़े कुछ खास रहस्य.
अघोर रूप शिव के पांच रूपों में से एक है. अघोरियों की भक्ति को बल्कि अघोरी शब्द को ही बेहद पवित्र माना जाता है लेकिन उनके रहन-सहन का तरीका खासा वीभत्स होता है. उनकी तंत्र साधना का ये अजीब तरीका खुद को पूरी तरह से शिव में लीन करने के लिए होता है.
अघोरी श्मशान घाट में रहते हैं. शव पर बैठकर साधना करते हैं. उनकी साधना का एक और तरीका एक पैर पर खड़े रहकर शिव की आराधना करना भी है. रातों में जागकर अधजली लाशों को निकालना और उनके साथ तंत्र क्रिया करना इनके जीवन का अहम हिस्सा होता है. तंत्र साधना के दौरान मांस और मदिरा का भोग लगाते हैं
.वे अपनी साधना के दौरान शवों के साथ शारीरिक संबंध बनाते हैं. जब महिला का मासिक धर्म चल रहा हो. इसके पीछे उनकी मान्यता है कि इससे उनकी शक्तियां बढ़ती हैं. अघोरी अधजली लाशों का मांस भी खाते हैं वे अपने आसपास कुत्ता रखना पसंद करते हैं