परमाणु हथियार बनाने में पाक की मदद करने वाली कम्पनियों पर ‘मोसाद’ का हमलाः खुफिया रिपोर्ट

यरुशलम, एजेन्सी। इजराइल की खुफिया एजेंसी मोसाद पर उन जर्मन और स्विस कंपनियों को धमकी देने व हमला करने का संदेह है जिन्होंने 1980 के दशक में परमाणु हथियार कार्यक्रम में पाकिस्तान की सहायता की थी। इजरायल को डर था कि पाकिस्तान के परमाणु संपन्न होने से उसके लिए अस्तित्व का खतरा पैदा हो सकता है।
एक प्रमुख अखबार ने मंगलवार को अपनी रिपोर्ट में यह टिप्पणी की। यरूशलम पोस्ट समाचार पत्र ने एक प्रमुख स्विस दैनिक की रिपोर्ट का हवाला दिया कि अमेरिका ने ऐसी कंपनियों की गतिविधियों को रोकने की असफल कोशिश की थी।
अस्तित्व का खतरा
उसके बाद उनमें से तीन कंपनियों पर तीन हमले हुए थे जिससे उन संदेहों को बल मिला कि मोसाद ने हमलों को अंजाम दिया और धमकी जारी की थी। स्विस दैनिक न्यू जर्चर जीतुंग ने रविवार को खबर दी कि पाकिस्तान के परमाणु बम से लैस इस्लामिक राज्य बनने के आसार से इजराइल को आशंका थी कि वह उसके अस्तित्व के लिए खतरा बन सकता है।
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बता दें कि पाकिस्तान ने 28 मई 1998 को बलूचिस्तान प्रांत के चागई जिले के रास कोह हिल्स में एक साथ पांच भूमिगत परमाणु परीक्षण किए। कोडनेम छगई, यह पाकिस्तान का परमाणु हथियारों का पहला सार्वजनिक परीक्षण था। दूसरा परमाणु परीक्षण, चगाई-द्वितीय, उसी वर्ष 30 मई को हुआ।
एनजेडजेड ने बताया कि पाकिस्तान और इस्लामिक रिपब्लिक आफ ईरान ने 1980 के दशक में परमाणु हथियार उपकरणों को विकसित करने पर एक साथ मिलकर काम किया, जिसमें जर्मन और स्विस कंपनियों के अपने परमाणु कार्यक्रम की सहायता के लिए गहन कार्य ‘अपेक्षाकृत अच्छी तरह से शोध किया गया’ है।
स्विस इतिहासकार एड्रियन हैनी के हवाले से कहा गया है कि मोसाद स्विस और जर्मन कंपनियों पर बम हमलों में शामिल था, हालांकि यह साबित करने के लिए कोई स्मोकिंग गन नहीं थी कि इन प्रयासों की खोज के बाद इजरायली जासूसी एजेंसी ने हमलों को अंजाम दिया। वहीं, दक्षिण एशिया में परमाणु हथियारों के अप्रसार के संगठन ने स्विट्जरलैंड और जर्मनी में विस्फोटों की जिम्मेदारी ली थी।