पत्नी के लिए नितिन ने छोड़ा डीएम का पद

नई दिल्ली: आईएएस अफसर स्वाति एस भदौरिया को अपनी सादगी और प्रतिभा की वजह से उम्दा प्रशासनिक अधिकारी के तौर पर जाना जाता है. स्वाति के पति नितिन भदौरिया भी आईएएस अधिकारी हैं और उन्होंने पत्नी के लिए डीएम का पद छोड़ दिया था. इसके बाद दोनों की किस्मत ने ऐसी पलटी और फिर पति-पत्नी जिला मजिस्ट्रेट बन गए.
यूपीएससी पाठशाला की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश के गोरखपुर की रहने वाली स्वाति भदौरिया की शुरुआती पढ़ाई गोरखपुर के लिटिल फ्लावर स्कूल से ही हुई. इसके बाद उन्होंने लखनऊ के आईआईटी से इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग में बीटेक ऑनर्स की पढ़ाई की. बीटेक के बाद उनका चयन भारतीय रिजर्व बैंक में हो गया, लेकिन उनका सपना आईएएस बनने का था और उन्होंने यूपीएससी एग्जाम की तैयारी भी जारी रखी.
पहले प्रयास में वह एक नंबर से यूपीएससी परीक्षा पास करने में चूक गईं. इसके बाद 2012 की परीक्षा में उन्होंने ऑल इंडिया में 74वीं रैंक हासिल कीं और छत्तीसगढ़ कैडर की आईएएस अफसर बनीं. छत्तीगढ़ में उन्होंने सब डिविजनल मजिस्ट्रेट डोंगरगांव और सरायपाली में काम किया.
आईएएस बनने के बाद स्वाति श्रीवास्तव की शादी आईएएस नितिन भदौरिया से हो गई. नितिन भदौरियासाल 2011 बैच के आईएएस अधिकारी हैं और उत्तराखंड में पोस्टेड हैं. शादी के बाद स्वाति भी साल 2015 में उत्तराखंड चली गईं. शादी के बाद दोनों ने हमेशा एक-दूसरे का साथ दिया.
साल 2016 में जब नितिन भदौरिया ) को पितौरागढ़ के पद का चार्ज मिला, तब उन्होंने पत्नी के लिए इसे छोड़ दिया और फिर उन्हें सीडीओ पद पर तैनात किया गया. नितिन भदौरिया का कहना है कि उस समय उनकी पत्नी प्रेग्नेंट थीं और और वह ऐसे समय में नहीं चाहते थे कि पत्नी के साथ ना रहें. इसलिए उन्होंने डीएम का चार्ज नहीं लिया.
इसके बाद साल 2018 में किस्मत पलटी और दोनों को डीएम पद का चार्ज मिला. स्वाति भदौरिया चमोली जिले की जिलाधिकारी बनाई गईं, जबकि नितिन भदौरिया ने अल्मोड़ा के जिला मजिस्ट्रेट का पदभार ग्रहण किया. काम को लेकर दोनों हमेशा एक-दूसरे के साथ खड़े नजर आए.
स्वाति भदौरिया और नितिन भदौरिया ने उदाहरण पेश किया और उन्होंने प्राइवेट स्कूल की जगह अपने बेटे का दाखिला आंगनबाड़ी में कराया. बेटे को दाखिला दिलाने के लिए स्वाति भदौरिया खुद आंगनबाड़ी केंद्र पहुंचीं थीं.
स्वाति भदौरिया ने इस साल फरवरी में उत्तराखंड के चमोली जिले में ऋषिगंगा के मुहाने पर ग्लेशियर का एक हिस्सा टूटने से आए जलप्रलय के राहत बचाव कार्य की कमान संभाला था. उन्होंने पूरी शिद्दत से मोर्चा संभाला और वह अपने छोटे बेटे को छोड़कर तपोवन में डेरा डाले रहीं.