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पटवारी से आईपीएस बनने तक का सफर

नई दिल्ली: भारत में सरकारी नौकरी का क्रेज काफी ज्यादा है और लाखों छात्र हर साल इसके लिए तैयारी करते हैं, लेकिन सभी को सफलता नहीं मिल पाती है. कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जिन्हें अपनी काबिलियत का अच्छे से पता होता है और लगातार सफलता हासिल करते जाते है. ऐसी ही कुछ कहानी राजस्थान के रहने वाले प्रेमसुख डेलू की है, जिनकी 6 साल में 12 सरकारी नौकरी लगी.

राजस्थान के बीकानेर के रहने वाले प्रेमसुख डेलू किसान परिवार में पैदा हुए, लेकिन कड़ी मेहनत से सबसे पहले पटवारी बने. हालांकि वह यहीं नहीं रुके और आगे की तैयारी करते रहे. वो अपनी मेहनत से इतना आगे बढ़े कि कि यूपीएससी एग्जाम पास किया और आईपीएस अफसर बन गए.

प्रेमसुख डेलू का जन्म किसान परिवार में हुआ था और उनके परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी. इनके पिता ऊंटगाड़ी चला कर लोगों का सामान एक जगह से दूसरी जगह ले जाने का काम करते थे. प्रेम बचपन से ही अपने परिवार को गरीबी से बाहर निकालना चाहते थे और इसके लिए उनका पूपा ध्यान सिर्फ पढ़ाई पर ही रहा.
प्रेमसुख डेलू ने दसवीं तक की पढ़ाई अपने ही गांव के सरकारी स्कूल से की. इसके बाद आगे की पढ़ाई उन्होंने बीकानेर के राजकीय डूंगर कॉलेज से पूरी की. उन्होंने इतिहास में एमए किया और गोल्ड मेडलिस्ट रहे. इसके साथ ही उन्होंने इतिहास में यूजीसी-नेट और जेआरएफ की परीक्षा भी पास कर ली.

प्रेमसुख डेलू के बड़े भाई राजस्थान पुलिस में कॉन्स्टेबल हैं और उन्होंने ही प्रेम को प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए प्रेरित किया. साल 2010 में ग्रेजुएशन पूरा करने के बाद उन्होंने पटवारी की भर्ती के लिए आवेदन किया और सफल हो गए. हालांकि इसके बाद वह समझ चुके थे कि उनकी क्षमता इससे कहीं ज्यादा है. पटवारी की नौकरी करते हुए ही उन्होंने मास्टर्स की डिग्री भी प्राप्त कर ली और नेट भी पास कर लिया.
पटवारी बनने के बाद प्रेमसुख डेलू ने राजस्थान ग्राम सेवक परीक्षा में दूसरी रैंक हासिल की. इसके बाद उन्होंने असिस्टेंट जेलर की परीक्षा में पूरे राजस्थान में पहले नंबर पर रहे. जेलर के पोस्ट पर ज्वाइन करने से पहले ही सब-इंस्पेक्टर की परीक्षा का परिणाम भी आ गया और उनका सेलेक्शन हो गया. इसके बाद भी वह नहीं रुके और बीएड परीक्षा पास करने के साथ ही नेट भी क्लियर किया. इसके बाद उन्हें कॉलेज में लेक्चरर का पद मिल गया. इसके बाद उन्होंने सिविल सर्विसेज परीक्षा देने का फैसला किया.

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