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पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट से मिली अकाली नेता बिक्रम मजीठिया को…

चंडीगढ़। नशा तस्करी मामले में अकाली नेता बिक्रम मजीठिया को अग्रिम जमानत मिल गई है। उनकी याचिका को पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने मंजूर कर लिया है। इसके साथ ही उन्हें जांच में शामिल होने का आदेश दिया गया है।

मजीठिया को अग्रिम जमानत पंजाब सरकार के लिए एक बड़े झटके के समान मानी जा रही है। इससे पहले याचिका पर बुधवार को वीडियो कांन्फ्रेंसिंग के जरिये सुनवाई हुई थी। हाईकोर्ट ने मजीठिया को बिना कोई अंतरिम राहत दिए पंजाब सरकार को 10 जनवरी के लिए नोटिस जारी कर जवाब तलब कर लिया था। मजीठिया के खिलाफ मोहाली में एनडीपीएस एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी।

नशा तस्करी के मामले में बिक्रम मजीठिया को मिली अग्रिम जमानत

इस मामले में मजीठिया ने पहले मोहाली की जिला अदालत में याचिका दायर कर अग्रिम जमानत की मांग की थी। मोहाली की अदालत से याचिका खारिज होने के बाद मजीठिया ने हाईकोर्ट की शरण ली है। मजीठिया ने याचिका में कहा कि उनके खिलाफ यह एफआईआर राजनीतिक दुर्भावना और रंजिश के तहत दर्ज करवाई गई है। राज्य में सत्ताधारी दल ने आगामी चुनाव में इसका फायदा उठाने के लिए ऐसा किया है।

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याची ने कहा कि उस पर लगे सभी आरोप निराधार हैं। वहीं पंजाब सरकार की ओर से कहा गया कि यह केस तथ्यों के आधार पर दर्ज किया गया है और मजीठिया से पूछताछ जरूरी है। ऐसे में पंजाब सरकार ने हाईकोर्ट से अपील की थी कि मजीठिया की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज किया जाए। याचिका पर 30 दिसंबर को फिजिकल सुनवाई में मजीठिया के वकील मुकुल रोहतगी की गैर मौजूदगी के चलते सुनवाई 5 जनवरी को तय की गई थी।

बुधवार को पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में सुनवाई वीसी के जरिये हुई थी। बुधवार को मजीठिया के लिए मुकुल रोहतगी और पंजाब सरकार के लिए सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट पी चिदंबरम ने बहस की थी। मजीठिया ने कहा कि इस मामले को लेकर हाईकोर्ट में 2013 से सुनवाई हो रही है और ईडी तथा एसआईटी तभी से इस मामले की जांच कर रही हैं। इतने लंबे समय की जांच के दौरान मजीठिया का नाम सामने नहीं आया और अब अचानक राजनीतिक रंजिश के चलते यह एफआईआर दर्ज की गई है।

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