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नौटंकी के रंग, रंग संगीत के संग में दिखा शास्त्रीय और लोक परंपरा का संगम

नौटंकी के साथ ही आधुनिक नाटकीय तत्वों का तालमेल भी देखने को मिला
लखनऊ। नौटंकी के नए चलन में पारंपरिक लोक कला के साथ-साथ उसमें शास्त्रीय पुट को भी खबूसूरती के साथ जोड़ा गया है। लेखक और निर्देशक अमित दीक्षित ने ऑनलाइन शो के माध्यम से बीते 25 वर्षों में युवाओं के अनुरूप ढलती नौटंकी की दिलचस्प यात्रा को डेढ़ घंटे में बखूबी समेटा। ‘नौटंकी के रंग, रंग संगीत के संगÓ का प्रसारण समूहन कला संस्थान के फेसबुक पेज पर किया गया। अमित दीक्षित के चौक स्थित स्टूडियो से इस कार्यक्रम का प्रसारण किया गया। वाराणसी की संस्था आवर्तन के संयुक्त प्रयास से कला प्रभा के 52वें अंक में नौटंकी के साथ आधुनिक नाटकीय तत्वों का तालमेल भी देखने को मिला। इसमें उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी सम्मान प्राप्त निर्देशक, अभिनेता, लेखक और गायक अमित दीक्षित ने बीते 25 वर्षों में नौटंकी और उनके प्रयोग विषय पर संगीतमय प्रस्तुति दी। इसमें उन्होंने नाटंकी लोकशैली के पारंपरिक अंग दोहा, चौबोला, बहरेतबील, खमसा, लावणी, दौड़, शकिशता के साथ नक्कारा, शहनाई को बखूबी शामिल किया। उन्होंने उत्तर प्रदेश की विश्व प्रसिद्ध गायन आधारित लोक नाट्य शैली नौटंकी में युवाओं का आकर्षण बढ़ाने के लिए पहला प्रयोग यह किया कि नौटंकी में उन्होंने शास्त्रीय संगीत को जोड़ा। इस कड़ी में उन्होंने उत्तर प्रदेश के समृद्ध शास्त्रीय नृत्य, कथक को नौटंकी का अंग बनाया। इस नव नौटंकी विधा संगीत के शास्त्रीय वाद्यों को भी इसमें शामिल किया गया है जिसमें नक्कारे के साथ तबले की जुगलबंदी सर्वाधिक सराही गई। प्रस्तुति में साथी कलाकारों में अमित सिंह लकी, बंटी मिश्रा, बरखा श्रीवास्तव, संजोली दीक्षित और संचित दीक्षित शामिल रहे। कैमरे पर आशुतोष विश्वकर्मा, नक्कारे पर मो.सिद्दीक, हरमोनियम पर अरविन्द, शहनाई पर मो.इखलाक और ढोलक पर मुन्ना खान ने प्रभावी संगत दी।

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