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नोएडा प्राधिकरण को 13,968.49 करोड़ का गया चूना

लखनऊ, संसू। नवीन ओखला औद्योगिक विकास प्राधिकरण (नोएडा) बोर्ड की ओर से मनमाने ढंग से आवंटन दरें निर्धारित किये जाने के कारण नोएडा प्राधिकरण को 1316.51 करोड़ रुपये के राजस्व से वंचित होना पड़ा। इसके अलावा नोएडा प्राधिकरण ने टेंडर के जरिये आवंटित किये जाने वाले भूखंडों का आरक्षित मूल्य तय करने में विकास मानदंडों (तल-क्षेत्र अनुपात व भू-आच्छादन) में वृद्धि पर विचार नहीं किया। इसकी वजह से आरक्षित मूल्यों की वृद्धि पर ध्यान दिए बिना अधिक निर्मित क्षेत्रफल का प्राविधान हुआ जिससे 13,968.49 करोड़ रुपये के राजस्व की वसूली में असफलता मिली।
यह तथ्य नोएडा प्राधिकरण में वर्ष 2005-18 के दौरान भूमि अर्जन और परिसंपत्तियों के आवंटन पर केंद्रित भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट में उजागर हुए हैं। यह रिपोर्ट शुक्रवार को विधानमंडल के दोनों सदनों में पेश की गई थी। रिपोर्ट में बताया गया है कि नोएडा प्राधिकरण ने ग्रुप हाउङ्क्षसग भूखंडों के आवंटन में सेक्टरों का गलत वर्गीकरण किया। इससे आरक्षित मूल्य कम निर्धारित हुआ जिनके कारण 798.69 करोड़ रुपये के संभावित राजस्व की हानि हुई। इसके अतिरिक्त, आवंटन दरों में शामिल नहीं की गईं लागतों की वसूली के लिए कोई तंत्र नहीं विकसित किया गया जिसकी वजह से नोएडा प्राधिकरण को 1424.26 करोड़ रुपये को इन लागतों को अपने संसाधनों से वहन करना पड़ा।
आडिट अवधि के दौरान नोएडा प्राधिकरण ने 71.03 लाख वर्ग मीटर माप के 67 ग्रुप हाउसिंग भूखंडों का आवंटन किया जिसे आवंटियों ने 113 भूखंडों में उप-विभाजित किया। आडिट में पाया गया कि 113 परियोजनाओं में 71 या तो अधूरी थीं या आंशिक रूप से पूर्ण थीं। यह कुल परियोजनाओं का 63 प्रतिशत है। 1,30,005 स्वीकृत फ्लैट में से 44 प्रतिशत फ्लैट के लिए आक्यूपेंसी सर्टिफिकेट जारी नहीं किये गए। इस कारण जिन खरीददारों ने अपनी मेहनत की कमाई और बचत को इन घरों को खरीदने में निवेश किया, वे अभी भी उनका कब्जा पाने से वंचित हैं।

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