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नाम के बदलाव की जरूरत नहीं: भारत सरकार

सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दाखिल कर कहा है कि ‘इंडिया’ का नाम बदलकर ‘भारत’ रखने की कोई जरूरत नहीं है। मंत्रालय ने यह हलफनामा सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश के बाद दाखिल किया है जिसमें कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों से इंडिया का नाम बदलकर भारत रखने पर सुझाव मांगे थे। कोर्ट ने यह आदेश एक जनहित याचिका कि सुनवाई के दौरान जारी किए थे।

मुख्य न्यायाधीश एचएल दत्तू और जस्टिस अरूण मिश्रा की पीठ ने एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान केंद्र और राज्य सरकारों से इस मुद्दे पर उचित सुझाव मांगे। इस जनहित याचिका में याचिकाकर्ता ने केंद्र सरकार को अपने किसी भी आधिकारिक और सरकारी दस्तावेजों में इंडिया शब्द का प्रयोग करने से रोकने की गुहार लगाई थी।

पीटीआई के मुताबिक इस याचिका की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इस साल के अप्रैल महीने में सरकारों से इस पर सुझाव मांगा था जिसका जवाब करीब सात महीने बाद नवंबर में आया। कोर्ट में यह याचिका खुद को समाज सेवक बताने वाले महाराष्ट्र के निरंजन भटकल ने दाखिल की थी जिसमें उसने सुप्रीम कोर्ट से यह भी मांग की थी कि सरकारों के अलावा गैर सरकारी संगठनों और निजी संस्थानों में आधिकारिक और गैर आधिकारिक रूप से ‘भारत’ शब्द का प्रयोग किया जाए।

याचिका में भारत के अलावा हिंदुस्तान, हिंद, भारतवर्ष, भारतभूमि जैसे अन्य शब्दों के प्रयोग का भी विकल्प भी संविधान सभा के लिए सुझाया गया था लेकिन सराकारी हलफनामे ने यह साफ कर दिया है कि सरकार ऐसे किसी भी बदलाव के लिए तैयार नहीं है। याचिका में यह भी आग्रह किया गया था कि भारत सरकार के एक्ट 1935 और भारतीय स्वाधीनता एक्ट 1947 को निरस्त कर दिया जाए जिसमें देश को इंडिया के नाम से संबोधित किया गया था।

निरंजन में अपनी याचिका में अपना पक्ष मजबूती से रखते हुए यह भी दलील दी थी कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 1 की धारा 1 में हिन्दी शब्द के कुछ अंश का भी इस्तेमाल किया गया है जिसका इस बात की ओर इशारा करते हैं कि देश का नाम रखने के लिए जो जिस अंग्रेजी शब्द इंडिया का इस्तेमाल किया गया है वह असल में भारत ही है।

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