नए आईटी कानून सामान्य सोशल मीडिया यूजर्स को करेंगे सशक्त, संयुक्तराष्ट्र संघ में भारत का जवाब

नई दिल्ली. संयुक्त राष्ट्रमें भारत के स्थाई मिशन ने साफ किया है कि नए आईटी कानून सामान्य सोशल मीडिया यूजर्स को सशक्त करने के लिए बनाए गए हैं. साथ ही ये नियम सरकार ने लंबे विचार-विमर्श के बाद तैयार किए हैं. दरअसल मानवाधिकार परिषद की तरफ से एक खत में कुछ चिंताएं जाहिर करने के बाद अब सरकार की तरफ से जवाब दिया गया है. सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने एक विज्ञप्ति के माध्यम से बताया है कि संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई मिशन ने इस बाबत जवाब दिया है.
भारत सरकार ने संयुक्त राष्ट्र को बताया है कि नए नियमों से सामान्य यजूर्स सशक्त होंगे. सोशल मीडिया पर पीड़ित व्यक्ति के पास शिकायत करने के लिए आधिकारिक फोरम होगा. नए आईटी नियम कई स्टेकहोल्डर्स से बातचीत के बाद बनाए गए थे. सरकार का कहना है कि दरअसल ऐसे कानून की जरूरत थी क्योंकि सोशल मीडिया का इस्तेमाल कई गलत कारणों के लिए हो रहा है जिसमें आतंकी गतिविधियां, अश्लील कंटेंट, समाज में वैमनस्यता फैलाने जैसी बातें शामिल हैं.
माइक्रोब्लॉगिंग साइट के अधिकारियों ने शुक्रवार को कांग्रेस सांसद शशि थरूर की अध्यक्षता वाली एक संसदीय समिति के समक्ष सोशल मीडिया के दुरुपयोग को रोकने पर पक्ष रखा था. संसदीय समिति ने ट्विटर के प्रतिनिधियों से पूछा कि क्या वह भारत के कानूनों का पालन करते हैं, इस पर ट्विटर की ओर से जवाब दिया गया कि वह अपनी नीतियों का पालन करते हैं.
बैठक के बाद ट्विटर के प्रवक्ता ने कहा “हम संसदीय समिति के समक्ष अपने विचार साझा करने का अवसर दिए जाने की सराहना करते हैं. पारदर्शिता, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और गोपनीयता के हमारे सिद्धांतों के अनुरूप नागरिकों के अधिकारों की ऑनलाइन सुरक्षा के महत्वपूर्ण कार्य पर समिति के साथ काम करने के लिए ट्विटर तैयार है.” प्रवक्ता ने कहा, “हम सार्वजनिक बातचीत की सेवा और सुरक्षा के लिए अपनी साझा प्रतिबद्धता के हिस्से के तौर पर भारत सरकार के साथ काम करना जारी रखेंगे.”