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दिल्ली सरकार ने बनाई तमिल अकादमी, एन. राजा बने पहले उपाध्यक्ष

 

नई दिल्ली। दिल्ली सरकार राजधानी में विभिन्न भाषाओं व संस्कृतियों को बढ़ावा देने के लिए अकादमी बना रही है। इसी क्रम में तमिल अकादमी की स्थापना की गई है। तमिल भाषा और संस्कृति को बढ़ावा देने के उद्देश्य से बनाई गई इस अकादमी की अधिसूचना जारी कर दी गई है। दिल्ली नगर निगम के पूर्व पार्षद और दिल्ली तमिल संगम के सदस्य एन. राजा को इस अकादमी का पहला उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया है।

दिल्ली के कला एवं संस्कृति मंत्री मनीष सिसोदिया की अध्यक्षता में स्थापित इस अकादमी को जल्द ही सभी आवश्यक सुविधाओं के साथ एक कार्यालय आवंटित किया जाएगा। इस अकादमी को लेकर उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा है कि दिल्ली सांस्कृतिक रूप से काफी समृद्ध महानगर है। दिल्ली में रहने वाली तमिलनाडु की बड़ी आबादी के लिए हम एक मंच पेश करना चाहते हैं। इससे दिल्ली के लोगों को भी तमिलनाडु की कला-संस्कृति का लाभ मिलेगा।

मनीष सिसोदिया ने कहा कि मुझे खुशी है कि अकादमी के प्रथम उपाध्यक्ष एन. राजा जैसे प्रमुख लोगों ने इस अकादमी की स्थापना में भरपूर सहयोग दिया है। तमिल अकादमी के पहले उपाध्यक्ष बनाए गए एन. राजा ने कहा है कि मैं इस अकादमी का हिस्सा बनकर सम्मानित महसूस कर रहा हूं। इस अकादमी के जरिए हम दिल्ली में तमिल भाषा को संरक्षित करने और बढ़ावा देने की एक नई यात्रा शुरू करेंगे। इस अकादमी के जरिए दिल्ली सरकार विभिन्न कार्यक्रम भी करेगी।

दिल्ली सरकार के कला, संस्कृति और भाषा विभाग ने फैसला किया है कि इस अकादमी के अंतर्गत तमिल भाषा और संस्कृति में अच्छे कार्यों को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न पुरस्कार प्रदान किए जाएंगे। इस अकादमी के माध्यम से भाषा पाठ्यक्रम भी प्रस्तुत किए जाएंगे। साथ ही, दिल्ली सरकार तमिलनाडु निवासियों के लिए सांस्कृतिक उत्सवों का भी आयोजन करेगी। आपको बता दें कि तमिल संस्कृति में नृत्य, संगीत, साहित्य, लोक कलाओं जैसे अभिव्यक्ति के कई रूपों की समृद्ध परंपरा है।

सबसे पुरानी सभ्यताओं में प्रमुख का जन्मस्थान होने के नाते तमिल संस्कृति में तमिल भाषा की महत्वपूर्ण भूमिका है, जिसे तमिलान्नाई (द तमिल मदर) के नाम से जाना जाता है। साथ ही, तमिल भाषा को भारत सरकार द्वारा शास्त्रीय भाषा के रूप में मान्यता प्राप्त है। कंबर और तिरुवल्लुवर की कृतियों को अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त है। इस क्षेत्र का सबसे प्रमुख दृश्य कला रूप चोला कांस्य की मूर्तियां और तंजौर पेंटिंग हैं। इन्हें विश्व कला में भारत के महानतम योगदानों में गिना जाता है।

तमिल संस्कृति से कई नृत्य कला भी जुड़ी हैं। अधिकांश तमिल नृत्य रूपों की उत्पत्ति पुराने मंदिर के नृत्यों में हुई है, जो देवदासियों और दरबारियों द्वारा किए गए थे। इस तरह के नृत्य रूपों में से एक भरतनाट्यम है, जो कैटिर कासेरी के प्राचीन नृत्य का एक आधुनिक रूप है। तमिल संस्कृति के कुछ अन्य महत्वपूर्ण नृत्य हैं ओलियट्टम, पुलियाट्टम, काराकट्टम और कुथु। इस अकादमी के पहले उपाध्यक्ष बनाए गए एन. राजा दिल्ली में इस संस्कृति के प्रचार प्रसार से जुड़े रहे हैं।

एन. राजा दिल्ली तमिल संगम के माध्यम से तमिल भाषा के प्रचार-प्रसार में सक्रिय हैं। यह संस्था तमिलनाडु की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए संगीत, साहित्यिक और नृत्य कार्यक्रमों का आयोजन करती है। इसने कई भरतनाट्यम नर्तकियों भी मंच प्रदान किया है। इसके अतिरिक्त, एन. राजा मलाई मंदिर ट्रस्ट के सदस्य भी हैं। वे वर्ष 2007 से 2018 तक दो बार वार्ड नंबर 64 के एमसीडी पार्षद भी रह चुके हैं और वह आदर्श नवयुवक मंडल समिति के महासचिव पद भी हैं।

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