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दिल्ली सरकार द्वारा पेश बजट में विकास के नाम पर नहीं है एक भी योजना

 

नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता रामवीर सिंह बिधूड़ी ने दिल्ली सरकार द्वारा पेश किये गए बजट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार ने नए बजट में एक बार फिर जनता को सपने दिखाने में कोई कसर नहीं रखी। पिछले 6 सालों से यह सरकार जनता को सपने ही दिखा रही है और हर बार ये सपने टूट जाते हैं जबकि बजट हर साल भ्रष्टाचार, प्रचार और सबसिडी की नजर चढ़ जाता है। दिल्ली विकास के लिए तरस रही है, लेकिन कोई बड़ी विकास योजना इस बार भी बजट में नहीं लाई गई। यहां तक कि इस बार यमुनापार विकास बोर्ड और ग्रामीण विकास बोर्ड का तो पूरे बजट में जिक्र ही नहीं है। बजट में कागजी दावे ही किए गए हैं। अगर ऐसा नहीं होता तो दिल्ली आज विश्व का सबसे प्रदूषित शहर नहीं होता, दिल्ली में लोगों को पब्लिक ट्रांसपोर्ट के लिए तरसना नहीं पड़ता, दिल्ली पीने के पानी के लिए नहीं भटकती, जनता सरकारी अस्पतालों में इलाज कराने से न कतराती और बुजुर्गों, महिलाओं व दिव्यांगों को पेंशन के लिए मारे-मारे नहीं फिरना पड़ता। बिधूड़ी ने कहा कि दिल्ली सरकार पिछले छह साल से जिस तरह के बजट पेश कर रही है, ये बजट उससे अलग नहीं है। हर बार दिल्ली का बजट सरकार के अपने प्रचार, भ्रष्टाचार और सबसिडी में ही खर्च हो जाता है। इसका नतीजा यह निकलता है कि दिल्ली के विकास के लिए बजट में कोई राशि बचती ही नहीं। इस समय दिल्ली में जो काम हो भी रहे हैं, वे पिछली सरकारों की योजनाएं थीं और उसके लिए फंड तक का इंतजाम हो चुका था। दिल्ली सरकार उन योजनाओं को भी ढंग से पूरा नहीं कर पाई। नई विकास योजनाओं के नाम पर इस बजट में कुछ भी नहीं है। बिधूड़ी ने कहा कि इस समय सबसे बड़ी समस्या प्रदूषण की है, लेकिन इस समस्या पर काबू पाने के लिए कोई ठोस नीति सामने नहीं रखी गई। पिछले सालों की तरह ही हवा में बातें की गई हैं और दिल्ली की हवा लगातार जहरीली होती जा रही है। शिक्षा के बजट में इस बार 10वीं और 12वीं के बोर्ड परीक्षाओं के शुल्क की सबसिडी नहीं रखी गई। स्वास्थ्य सेवाओं का हाल तो लोग कोरोना काल में देख ही चुके हैं। यही वजह है कि न तो कोरोना काल में लोग सरकारी अस्पतालों में दाखिल हुए और न ही अब वैक्सीनेशन के लिए जाना चाहते हैं। दिल्ली में पिछले साल बुराड़ी और आम्बेडकर नगर में बने अस्पतालों को खोलने के लिए सरकार ने अपनी पीठ थपथपाई है, वे तो कई सालों से बनकर तैयार खड़े थे और ये सरकार उन्हें चालू ही नहीं कर पाई थी। दिल्ली का पब्लिक ट्रांसपोर्ट पहले ही दम तोड़ चुका है। पिछले छह सालों के बजट उठाकर देख लीजिए, हर साल एक हजार बसें खरीदने का दावा किया जाता है लेकिन अब तक डीटीसी के बेड़े में एक भी बस नहीं आई। इस बार भी वही वादा रिपीट किया गया है। दिल्ली में बिजली-पानी की सबसिडी पर करीब 3700 करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं, लेकिन दिल्ली को न तो कोई नया वाटर ट्रीटमेंट प्लांट मिलेगा, न सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट मिलेगा और न ही मांग बढ़ने के बावजूद कोई नया पावर स्टेशन लगाने की बात कही गई है। समाज कल्याण के नाम पर भी सरकार जनता के साथ धोखा कर रही है क्योंकि बुजुर्गों, जरूरतमंद महिलाओं और दिव्यांगों को सालों से पेंशन नहीं मिल पा रही। बिधूड़ी ने देशभक्ति बजट पर भी सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा है कि जो लोग सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल उठाते हों, चीन के साथ झड़प में भारतीय सेना की वीरता पर प्रश्नचिन्ह लगाते हों या फिर कश्मीर में अनुच्छेद 370 को खत्म करने पर सरकार का विरोध करते हों, वे देशभक्ति का पाठ क्या पढ़ाएंगे? तिरंगा हर भारतीय के लिए बड़े सम्मान और गौरव का प्रतीक है। वह दिल में लहरा रहा है। इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरे विश्व के सामने योग की शक्ति को साबित किया है और अब दिल्ली सरकार को इसकी याद आई है। बिधूड़ी ने यह भी कहा है दिल्ली भारत का दिल है और हर दिल्लीवाले को इस पर गर्व है। इसलिए दिल्ली को दिल्ली ही रहने दें, सिंगापुर बनाने की जरूरत नहीं है।

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