दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग (डीसीपीसीआर) ने लांच किया अपना पहला जर्नल ‘चिल्ड्रन फर्स्ट: जर्नल ऑन चिल्ड्रेन्स लिव्स
नई दिल्ली। दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग (डीसीपीसीआर) द्वारा शनिवार को अपना पहला जर्नल ‘चिल्ड्रन फर्स्ट: जर्नल ऑन चिल्ड्रेन्स लिव्स लांच किया गया। ये एक समावेशी जर्नल है जो डिस्कशन, बेहतर प्रैक्टिसेज को साझा करने, रिफ्लेक्शन, आलोचना-समालोचना, पालिसी व विभिन्न बुक रिव्यु और रिसर्च पर आधारित है। जर्नल के पहले अंक का विषय है- “बच्चों के जीवन पर कोरोना महामारी का प्रभाव”। इस अवसर पर दिल्ली के उपमुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग (डीसीपीसीआर) बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। इस दिशा में ये जर्नल बेहद महत्वपूर्ण साबित होगा जो समाज को बच्चों के अधिकारों व उनके बेहतर पेरेंटिंग के प्रति जागरूक बनाएगा। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी ने ये दिखाया है कि हम बच्चों के जीवन को प्रभावित करने वाले मुद्दों को कितना कम समझते हैं। यह जर्नल बच्चों के अधिकारों के प्रति लोगों को संवेदनशील बनाने के साथ-साथ उनमे इस मुद्दे के प्रति गंभीरता से समझ विकसित करने का काम करेगा। इंडियन इस्लामिक कल्चरल सेंटर में आयोजित इस लॉन्चिंग कार्यक्रम में सुप्रीम कोर्ट जस्टिस एस रविन्द्र भट्ट, यूनीसेफ इंडिया की प्रमुख यासमीन अली हक, कालका जी से विधायक आतिशी, शिक्षा सलाहकार शैलेन्द्र शर्मा, डीसीपीसीआर के चेयरपर्सन अनुराग कुंडू सहित अन्य गणमान्य लोग शामिल रहे।
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि ये जर्नल एक नई क्रांति का सूत्रपात करने का काम करेगा। हमें ये विश्लेषण करने की जरुरत है कि आज हम अपने बच्चों कि बेहतरी व अच्छे के विषय में सोचकर जो कुछ करते है उनमे से कई चीजे इतनी ख़राब होती है जिसका हमें कोई अंदेशा भीं नहीं होता है। हम प्यार, पढ़ाई, केयर और मान्यताओं को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में देने नाम पर बच्चों पर जो चीजे थोपते आए है। उसने बच्चों को पिंजरे में कैद करने का काम किया है और इससे बचपन खो रहा है। उन्होंने कहा कि बच्चों की बेहतरी के लिए उन्हें अच्छा वातावरण देने की जरुरत है न की उनपर चीजे थोपने की। ये जर्नल लोगों में इसके प्रति जागरूक करेगा और एक सामाजिक क्रांति लाने का प्रयास करेगा जहाँ बच्चे उन पुरानी मान्यताओं के पिंजरे को तोड़ेंगे जो उनके विकास में बाधक है और अपने सपनों की उड़ान भरेंगे।
जर्नल का पहला अंक बच्चों के जीवन के कई आयामों को छूता है, जिनमें ऑनलाइन शिक्षा की चुनौतियों से लेकर महामारी के दौरान सोशल-इमोशनल डेवलपमेंट संबंधित संघर्षों से लेकर स्कूल बंद होने के कारण लर्निंग रुकना व सोशल ऑडिट और पोच्सो पीड़ितों के साथ होने वाला दुर्व्यवहार शामिल है। जर्नल के इस पहले अंक में दिल्ली के एक सरकारी स्कूल से लेकर आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों की कहानियों और राजस्थान के ग्रामीण आदिवासियों से लेकर असम के समुदायों के संघर्षों के बारे में चर्चा की गई हैं। डीसीपीसीआर के जर्नल के पहले अंक के लिए देश भर के 100 से अधिक लेखकों से प्रस्तुतियाँ मिलीं, जिनमें से शोध, कमेंट्री, लेख और पुस्तक समीक्षा सहित 26 आर्टिकल्स प्रकाशित किए गए हैं।
उल्लेखनीय है कि जर्नल के एडवाइजरी बोर्ड के प्रमुख पूर्व जस्टिस मदन बी लोकुर है। साथ ही एडवाइजरी बोर्ड में पूर्व केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव के.सुजाता राव, यूएनडीपी के पूर्व चीफ इकोनॉमिस्ट ज्ञानेंद्र बडगैयन और यूनिसेफ इंडिया के चीफ ऑफ़ चाइल्ड प्रोटेक्शन सोलेडेड हेरेरो शामिल है। जर्नल ने हाल ही में नीदरलैंड स्थित संगठन बर्नार्ड वैन लीयर फाउंडेशन (बीवीएलएफ) के साथ पार्टनरशिप करते हुए एमओयू साइन किया है ताकि जर्नल में उच्च गुणवत्ता वाले लेखों को प्रकाशित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञता लाया जा सके। जर्नल के लेखक प्रतिष्ठित संस्थानों जैसे आईआईटी, आईआईएम, टीआईएसएस, डीयू, अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी तथा एनजीओ जैसे एजुकेट गर्ल्स, सेव द चिल्ड्रन, प्रथम और टीच फॉर इंडिया से आते हैं।