दशरथ मांझी के परिवार की मदद के लिए आगे आये सोनू सूद, कहा- आज से तंगी खत्घ्म…
अभिनेता लगातार सोनू सूद सुर्खियों में छाए हुए हैं. हजारों प्रवासी मजदूरों को उनके घर पहुंचा चुके सोनू सूद ने अब द माउंटेन मैन के नाम से प्रसिद्ध दशरथ मांझी के परिवार की मदद के लिए आगे आए हैं. पिछले कई दिनों से दशरथ मांझी के परिवार के लोग आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं और पाई पाई के लिए मोहताज हैं. ऐसे में इस खबर की एक कटिंग के साथ सोनू सूद से मदद की गुहार लगाई गई थी. अब अभिनेता की तरफ से जवाब आया है. सोनू सूद ने जवाब देते हुए लिखा, आज से तंगी खघ्त्म. आज ही हो जाएगा भाई. बता दें कि बिहार के द माउंटेन मैन के नाम से विख्यात और गया निवासी दशरथ मांझी का परिवार कोरोना लॉकडाउन और बच्ची के एक्सीडेंट की वजह से कर्ज में डूब गया है. इसकी वजह से उनका परिवार अब सरकार से मदद की गुहार लगा रहा है. बता दें कि सोनू सूद के इस कदम की लोग जमकर तारीफ कर रहे हैं. एक यूजर ने लिखा,श् जिस तरह आप इन मुसीबतों के बाद आगे आए हैं गरीबों और प्रवासी मजदूरों के लिए वो एक अकल्पनीय कार्य है जो आपने किया है. सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तान हमारा ये क्यों है आपने लोगों को बता दिया. आपकी नयी योजना प्रवासी रोजगार जरूरतमंदो के लिए मददगार साबित होगी. भारत माता की जय.एक और यूजर ने लिखा,श् देश आपके इस सहयोग को कभी नहीं भूलेगा। देश को आप जैसे महान और नेकदिल अभिनेता जिन्होंने अपने कार्य से रील और रीयल लाइफ में सब का दिल जीता आप पे पूरे देश को गर्व है. आपने ये साबित कर दिया कि ठान लो और लगन हो तो कुछ भी किया जा सकता है देश और समाज के लिए.दशरथ मांझी एक बेहद पिछड़े इलाके से आते थे और दलित जाति से थे. शुरुआती जीवन में उन्हें अपना छोटे से छोटा हक मांगने के लिए संघर्ष करना पड़ा. वे जिस गांव में रहते थे वहां से पास के कस्बे जाने के लिए एक पूरा पहाड़ गहलोर को पार करना पड़ता था. उनके गांव में उन दिनों न बिजली थी, न पानी. ऐसे में छोटी से छोटी जरूरत के लिए उस पूरे पहाड़ को या तो पार करना पड़ता था या उसका चक्कर लगाकर जाना पड़ता था. दशरथ मांझी को गहलौर पहाड़ काटकर रास्ता बनाने का जुनून तब सवार हुया, जब पहाड़ के दूसरे छोर पर लकड़ी काट रहे अपने पति के लिए खाना ले जाने के क्रम में उनकी पत्नी फगुनी पहाड़ के दर्रे में गिर गयी और उनका निधन हो गया. इसके बाद दशरथ मांझी ने संकल्प लिया कि वह अकेले दम पर पहाड़ के बीचों-बीच से रास्ता निकलेगा. दशरथमांझी का अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान नई दिल्ली में पित्ताशय के कैंसर से पीडि़त मांझी का 73 साल की उम्र में, 17 अगस्त 2007 को निधन हो गया था.