…..तो क्या कालपी से लड़ेंगे स्वतंत्र देव 22 का चुनाव
हरिमोहन विश्वकर्मा
लखनऊ। उ.प्र. विधान सभा चुनाव-2022 का शंखनाद बस होने ही वाला है। माना यह जा रहा है कि कुछ ही समय में चुनाव आयोग आचार संहिता लागू कर सकता है। सभी राजनैतिक दलों ने यूपी चुनावों को लेकर अपनी अपनी तैयारियां शुरू भी कर दी हैं। सत्तारूढ़ दल भाजपा द्वारा सरकार में होेने के बाद भी यूपी चुनावों को बेहद ही गंभीरता से लेते हुये जरूरी निर्णय लिये जा रहे हैं।
माना जा रहा है कि इस बार पार्टी के तमाम दिग्गजों को चुनावी रण में उतारा जायेगा भले ही उनके सामने अपनी सीट चुनने का विकल्प दिये जाने की सुविधा हो। सूत्रों की मानें तो पार्टी की इस पहल के तहत जिले से नाता रखने वाले भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह का कालपी विधान सभा से चुनाव लड़ना लगभग तय है। ऐसे में भारी भरकम प्रत्याशी के इस सीट पर आने की संभावना के चलते अन्य दलों में अपने प्रत्याशियों के नामों को अंतिम रूप देने की कसरत और तेज हो गयी है।
जैसे जैसे प्रदेश के विधान सभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं वैसे -वैसे राजनैतिक हलचलें और तेज होती जा रही हैं। इसके साथ ही इस बार प्रदेश में किस पार्टी की सरकार बनेगी तथा कौन सीएम बनेगा इसकी भी चर्चायें जगह जगह होनी शुरू हो गयी हैं। शहर हो या गांव सभी जगह बस यही विश्लेषण सुबह- शाम, गली नुक्कड़ों,चाय ढाबों एवं काफी हॉउस में होता देखा जा सकता है। जहां भाजपा प्रदेश में फिर से सरकार बनाने को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त दिख रही है तो वहीं सपा विजय यात्रा में मिल रहे जन समर्थन के बलबूते भाजपा को उखाड़ फेंकने की हुंकार भर रही है। बसपा भी पीछे नहीं है और 2007 की तर्ज पर सोशल इंजीनियंरिग के भरोसे सरकार बनाने का मंसूबा पाले दिख रही है। सभी दल अपने अपने तरीके से प्रत्याशियों के चयन को लेकर खासी मशक्कत में हैं। भाजपा द्वारा एक एक सीट का सर्वे कराके वहां पर जिताऊ प्रत्याशी को उतारने की प्रबल कोशिश की जा रही है। ऐसे में सभी विधान सभा सीटों के लिये वहां के जातिगत समीकरणों, पिछले चुनावों के परिणामों, वर्तमान विधायकों की क्षेत्र में आम सोहरत तथा उससे आने वाले चुनावों के परिणामों आदि बिन्दुओं पर खासी समीक्षा के सर्वे कार्य अंतिम चरण में है।
भाजपा के चुनावी सूत्रों की माने तो इस बार उन दिग्गजों पर पार्टी के आला नेतृत्व की निगाहें हैं जो संगठन में तो बड़े पदों पर हैं पर जनता के बीच जाकर अब तक निर्वाचित होकर नही आये। जबकि उनका क्षेत्र में खासा वजूद है। यही नहीं वह अपनी उपस्थिति या भ्रमण से प्रत्याशियों के चुनावों में असर उत्पन्न करते हैं। ऐसे में भाजपा इस बार उनको उनकी मनचाही सीट पर चुनाव लड़ाने का निर्णय ले चुकी है। पार्टी के इस निर्णय के तहत प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह को विधान सभा चुनाव 2022 में उतारा जाना निश्चित माना जा रहा है।
सूत्र बताते हैं कि पार्टी उन्हें कालपी विधान सभा सीट से चुनाव लड़ाने का मन बना चुकी है। चूंकि सिंह कालपी सीट से 2012 में चुनाव लड़ चुके हैं, ऐसे में उन्हें इस क्षेत्र का खासा अनुभव है। वर्ष 2012 में प्रदेश मेें भाजपा के पक्ष में हवा नहीं थी। यही कारण था कि सपा ने प्रदेश में स्पष्ट बहुमत की सरकार बनायी थी। ना केवल स्वतंत्र देव बल्कि भाजपा के सभी प्रत्याशियों की जालौन में पराजय हुयी थी। पर इस बार ऐसा नही है। चुनावी हवा भाजपा के पक्ष में है। जालौन जिला प्रदेश अध्यक्ष का गृह जनपद माना जाता है। तथा कालपी क्षेत्र उनके लिये युवा अवस्था की कर्मस्थली मानी जाती है। यहीं पर शिक्षार्जन कर वह विद्यार्थी परिषद से भाजपा की सक्रिय धारा में पहुंचे। वैसे प्रदेश अध्यक्ष के लिये बुन्देलखंड की एक और सीट गरौठा भी उपयुक्त मानी जा रही है जहां पर उनके कुर्मी बिरादरी के वोट खासे हैं। पर इस सीट पर सपा के दो बार के विधायक दीपनारायण सिंह यादव फिर से चुनाव लड़ने वाले हैं तो फिर वहां पर सीट जीतना कठिन कहा जा सकता है। राजनैतिक विश्लेषकों की मानें तो कालपी के अतिरिक्त कोई सीट प्रदेश अध्यक्ष के लिये सरल नहीं है। कालपी से प्रदेश अध्यक्ष के उतरने के बाद एक वर्तमान विधायक का टिकट कटना निश्चित है। वहीं जिले की शेष दो सीटों के लिये भी पार्टी प्राप्त सर्वे के आधार पर ही निर्णय करेगी। ऐसे में उरई सुरक्षित सीट के वर्तमान विधायक गौरीशंकर वर्मा के बीते पांच सालों में क्षेत्र के विकास के लिये किये गये प्रयासों तथा जनता के बीच उनकी छवि का भी आंकलन किया जा रहा है। माना जा रहा है कि अपने क्षेत्र में पूरे समय सक्रिय रहने, कोरोना काल में जनता के बीच जाकर अपने पैसे से लोगों की मदद करने उन्हें खाद्यान्न देने वाले वाले,गम्भीर बीमारी से ग्रस्त लोगोें को मुख्यमंत्री त्वरित राहत कोष से मदद दिलवाने वाले तथा क्षेत्र की वर्षो से रूकी हुयी बड़े बजट की सड़कों पर काम शुरू करवाने वाले विधायक गौरीशंकर वर्मा इस बार भी सफल हो सकते हैं। ऐसे में पार्टी फिर से चुनाव लड़ने का मौका दे सकती है। वहीं जिले की तीसरी सीट माधौगढ़ पर अन्य दलों के प्रत्याशियों से तुलनात्मक अध्ययन करते हुये जातिगत आंकड़े के आधार पर इस बार क्षत्रिय प्रत्याशी पर दांव आजमा सकती है। इस सीट से वर्तमान विधायक कुर्मी समाज से नाता रखने वाले मूलचंद निरंजन हैं। अब यदि कालपी से पिछड़ी जाति में प्रदेश अध्यक्ष को टिकट दिया जा रहा है तो फिर माधौगढ़ से सामान्य वर्ग में क्षत्रिय या ब्राम्हण ही उतारा जायेगा। ऐसे समीकरणोें के आधार पर भाजपा जिले में 2017 की भांति फिर से परचम फहराना चाह रही है।