राज्य
तेलंगाना से शुरू होगा स्पेशल कैम्पेन, 6 साल बाद भारत में फिर मिला पोलियो वायरस
हैदराबाद.पिछले दिनों हैदराबाद में पोलियो वायरस मिलने के बाद तेलंगाना सरकार इसके खिलाफ एक स्पेशल कैम्पेन शुरू करने जा रही है। इस वायरस का पता सीवेज वाटर के लैब टेस्ट के दौरान लगा था। वायरस का नाम वीडीपीवी टाइप-2 है। बता दें कि देश में 2010 के बाद पोलियो का कोई वायरस नहीं पाया गया था। लेकिन अब टेस्ट में इस वायरस का पता लगने के बाद राज्य सरकार काफी सतर्क हो गई है। क्या कहते हैं अफसर…
– तेलंगाना के प्रिंसिपल सेक्रेटरी (हेल्थ) राजेश्वर तिवारी ने कहा- “हम हैदराबाद और रंगा रेड्डी जिलों में 20 से 26 जून के बीच स्पेशल कैम्पेन चलाने जा रहे हैं। इस दौरान छह हफ्ते से तीन साल की उम्र तक के बच्चों की जांच की जाएगी।”
साइंटिस्ट्स को क्या डर?
– यूनियन हेल्थ मिनिस्ट्री के साइंटिस्ट्स को हैदराबाद में रेलवे स्टेशन के नजदीक वैक्सीन डिराइव पोलियो वायरस (वीडीपीवी) मिला था। हालांकि, यहां के किसी बच्चे में इसका इन्फेक्शन नहीं मिला। साइंटिस्ट्स को ज्यादा डर इस बात का है कि वायरस फैल सकता है और देश के दूसरे राज्यों में बच्चों को पोलियो का मरीज बना सकता है।
– 2010 के बाद भारत में पोलियो के वीडीपीवी आम जगहों पर नहीं मिले हैं। 2013 में ही डब्ल्यूएचओ ने भारत को पूरी तरह से पोलियो फ्री घोषित किया है।
– वायरस के मिलने के फौरन बाद ही हेल्थ मिनिस्ट्री ने इलाके में अपनी टीम रवाना कर दी थी। शुरुआती जांच में पाया गया कि वायरस हैदराबाद में नहीं है, लेकिन इसके अन्य राज्यों में फैलने का खतरा नजर रहा है।
– ग्लोबल हेल्थ एडवोकेट्स के फाउंडर डॉ. बॉबी जॉन का कहना है कि भारत में वाइल्ड पोलियो को 2010 में खत्म कर दिया गया था। लेकिन भारत में अब भी हर एक लाख बच्चों में से एक को वैक्सीन डिराइव पोलियो होता रहा है। सभी परिवारों में 0-5 वर्ष तक के बच्चों में पोलियों की खुराक और नए टीकों को लगाने में कोताही बिल्कुल नहीं करनी चाहिए।
– 2010 के बाद भारत में पोलियो के वीडीपीवी आम जगहों पर नहीं मिले हैं। 2013 में ही डब्ल्यूएचओ ने भारत को पूरी तरह से पोलियो फ्री घोषित किया है।
– वायरस के मिलने के फौरन बाद ही हेल्थ मिनिस्ट्री ने इलाके में अपनी टीम रवाना कर दी थी। शुरुआती जांच में पाया गया कि वायरस हैदराबाद में नहीं है, लेकिन इसके अन्य राज्यों में फैलने का खतरा नजर रहा है।
– ग्लोबल हेल्थ एडवोकेट्स के फाउंडर डॉ. बॉबी जॉन का कहना है कि भारत में वाइल्ड पोलियो को 2010 में खत्म कर दिया गया था। लेकिन भारत में अब भी हर एक लाख बच्चों में से एक को वैक्सीन डिराइव पोलियो होता रहा है। सभी परिवारों में 0-5 वर्ष तक के बच्चों में पोलियों की खुराक और नए टीकों को लगाने में कोताही बिल्कुल नहीं करनी चाहिए।
पोलियो से जुड़ी अहम बातें
– पोलियो एक इन्फेशन से होने वाली बीमारी है जो आमतौर पर छोटे बच्चों में होती है। इसे लाइलाज माना जाता है, क्योंकि इससे होने वाला लकवा ठीक नहीं हो सकता। इसलिए इससे बचाव रखना ही जरूरी है।
– पोलियो स्पाइनल कॉर्ड व मैडुला की बीमारी है। स्पाइनल कॉर्ड इंसान का वह हिस्सा है जो रीढ़ की हड्डी में होता है। पोलियो मसल्स या हड्डी की बीमारी नहीं है।
– बच्चों में पोलियो वायरस के खिलाफ इम्युनिटी नहीं होती। यही वजह है कि बच्चे को ही इस बीमारी का खतरा सबसे ज्यादा होता है।
– पोलियो से बचाव के लिए बच्चों को ओरल वैक्सीन दी जाती है।
– पोलियो स्पाइनल कॉर्ड व मैडुला की बीमारी है। स्पाइनल कॉर्ड इंसान का वह हिस्सा है जो रीढ़ की हड्डी में होता है। पोलियो मसल्स या हड्डी की बीमारी नहीं है।
– बच्चों में पोलियो वायरस के खिलाफ इम्युनिटी नहीं होती। यही वजह है कि बच्चे को ही इस बीमारी का खतरा सबसे ज्यादा होता है।
– पोलियो से बचाव के लिए बच्चों को ओरल वैक्सीन दी जाती है।