लखनऊ
तेज होगा बैंकों के निजीकरण का विरोध-रामनाथ
लखनऊ । सार्वजनिक क्षेत्र के सभी बैंकों की दो दिवसीय हड़ताल की सफलता से उत्साहित बैंक यूनियनों ने अब इस मुद्दे को भारत के सामान्य लोगों तक ले जाने की रणनीति पर काम शुरू कर दिया है।बैंक बचाओ,देश बचाओ के इस राष्ट्रीय अभियान की जरूरत बताते हुए इंडियन बैंक अधिकारियों के नेता रामनाथ शुक्ला ने शनिवार को पत्रकारों से बात करते हुए बताया कि विश्वबैंक जैसी संस्थाओं के इशारे पर भारत को आर्थिक रूप से जर्जर देश बनाने के षड्यंत्र पिछले कई दशकों से चलते रहे हैं
लेकिन मौजूदा सरकार ने अब इसे खतरनाक दौर में पहुंचा दिया है और अगर समय रहते सार्वजनिक क्षेत्र के संस्थानों को बचाया नहीं गया तो भारत भयानक बेरोजगारी और औद्योगिक बदहाली की गर्त में चला जायेगा।रामनाथ शुक्ला ने बताया कि भारत की आजादी के बाद से ही सामंतवादी और राजशाही की ताकतों को खत्म करने के लिये जो कदम उठाये गए थे उनमें देश के प्रमुख बैंकों का राष्ट्रीयकरण एक बहुत बड़ा कदम था जिसने इस देश के किसानों और मेहनतकश लोगों की जिंदा को खुशहाल बनाया है।अब सरकार जो नीतियां बना रही है उनसे देश के लोकतंत्र पर भ्रष्टाचारी पूंजीपतियों का ग्रहण लग जायेगा जिसे बैंककर्मी कभी सफल नहीं होने देंगे।