लाइफस्टाइल

तेजी से कम करती है डिप्रेशन और सुसाइडल !

अवसाद यानी डिप्रेशन : आजकल की लाइफस्टाइल में लगभगर हर इंसान किसी ना किसी तरह के तनाव से जूझ रहा है. लंबे समय तक तनाव का बना रहना अवसाद यानी डिप्रेशन की तरफ ले जाता है. जिससे कई तरह की मानसिक बीमारियों को शरीर में प्रवेश करने का रास्ता मिल जाता है. इसलिए समय रहते ही अवसाद की अवस्था पर काबू पा लेना ही बेहतर है. ब्रिटेन में हुई एक ताजा स्टडी में पाया गया कि केटामाइन थेरेपी अवसाद के लक्षणों और सुसाइडल थॉट्स यानी आत्मघाती विचारों को तेजी से कम करती है. यूनिवर्सिटी आफ एक्सेटरके साइंटिस्टों द्वारा की गई स्टडी के दौरान पूर्व में प्रकाशित हो चुके 83 रिसर्च पेपर्स से साक्ष्य जुटाए गए. इस दौरान गंभीर अवसाद में भी केटामाइन थेरेपी के कारगर होने के प्रबल साक्ष्य मिले.

स्टडी में पाया गया कि पहली बार इलाज के बाद अवसाद या आत्मघाती विचारों के लक्षण एक से चार घंटे में कम हो जाते हैं और इसका असर दो हफ्तों तक रहता है. कुछ साक्ष्यों ने इशारा किया कि दोबारा थेरेपी के जरिये इलाज के प्रभाव को लंबे समय तक बरकरार रखा जा सकता है.
यूनिवर्सिटी ऑफ एक्सेटर से जुड़ी इस स्टडी की चीफ राइटर मर्व मोल्लाहमेटोग्लू के अनुसार, ‘हमने अपनी स्टडी में केटामाइन के चिकित्सकीय प्रभाव के संबंध में अब तक की सबसे व्यापक समीक्षा की है. हमारी रिसर्च के निष्कर्ष ये बताते हैं कि केटामाइन थेरेपी अवसाद व आत्मघाती विचारों को तेजी से कम करने में सक्षम है.’

उन्होंने बताया कि उनकी स्टडी का निष्कर्ष इस मायने में महत्वपूर्ण है कि केटामाइन से अवसाद और आत्मघाती विचारों से उबारने में तत्काल मदद तो करती ही है, इसके साथ ही पीड़ित व्यक्ति को बचाने के लिए अन्य उपायों के लिए समय मिल जाता है. बेचैनी, किसी आघात के बाद तनाव और किसी को लेकर जुनूनी हो जाने जैसे मनोविकारों में भी केटामाइन थेरेपी से फायदा मिलता है. लेकिन इस थेरेपी के लिए उचित दिशानिर्देश और मानक प्रक्रिया तय किया जाना जरूरी है.

 

 

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