तृणमूल कांग्रेस सांसदमहुआ मोइत्रा ने पूर्व मुख्य न्यायाधीश पर की अभद्र टिप्पणी, विशेषाधिकार हनन
नई दिल्ली: तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा के खिलाफ केंद्र सरकार विशेषाधिकार हनन का नोटिस लाएगी. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, ये नोटिस आर्टिकल 121 के तहत दिया जाएगा. दरअसल, महुआ मोइत्रा ने पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गगोई के खिलाफ अभद्र टिप्पणी की थी. उन्होंने सदन में गोगोई के खिलाफ केस का बार-बार उल्लेख किया था. उस वक्त स्पीकर ने भी उन्हें ऐसा बोलने पर टोका था. लेकिन इसके बावजूद मोइत्रा ने इस बात को दोहराया था. महुआ ने कहा था कि केस के दबाव में आकर गोगोई ने राम मंदिर का फैसला दिया था.
हालांकि सूत्रों के हवाले से खबर ये भी है कि बयान सदन की कार्यवाही से हटाने के बाद विशेषाधिकार का नोटिस नहीं दिया जा सकता है. लेकिन सरकार के लोगों का कहना है कि ये मामला रिकॉर्ड में आ चुका है, इसीलिए कोई भी सांसद सदस्य जो उनके बयान से आहत हुआ हो, विशेषाधिकार हनन का नोटिस दे सकता है. इसीलिए जब तक कोई नोटिस नहीं दे देता तब तक इंतजार किया जा सकता है.
गौरतलब है कि आज लोक सभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान महुआ मोइत्रा ने सरकार पर कायरता को साहस के रूप में परिभाषित करने का आरोप लगाया था. उन्होंने कहा था कि नागरिकता संशोधन कानून लाना, अर्थव्यवस्था की स्थिति, बहुमत के बल पर तीन कृषि कानून लाना इसके उदाहरण हैं. इसके बाद मोइत्रा ने पूर्वचीफ जस्टिस पर टिप्पणी करते हुआ कहा था कि न्यायपालिका अब पवित्र नहीं रह गई है. इस टिप्पणी का भाजपा सदस्यों और सरकार की ओर से विरोध किया गया था.
संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने उनकी टिप्पणी पर आपत्ति जताई और कहा कि इस प्रकार का उल्लेख नहीं किया जा सकता. वहीं, भाजपा सांसद निशिकांत दूबे ने नियमों का हवाला देते हुए इस पर आपत्ति व्यक्त की. इस पर पीठासीन सभापति एन के प्रेमचंद्रन ने कहा कि अगर महुआ मोइत्रा की बात में कुछ आपत्तिजनक पाया जाता है तो उसे रिकॉर्ड में नहीं रखा जाएगा
गौरतलब है कि चीफ जस्टिस रंजन गोगोई 17 नवंबर 2019 को रिटायर हुए थे. जिसके बाद उन्होंने 19 मार्च को राज्य सभा सांसद के रूप में शपथ ली थी. अपने रिटायमेंट से पहले उन्होंने राम मंदिर मामले में ऐतिहासिक फैसला दिया था.