तीन PCS अफसरों पर कार्रवाई की लटकी तलवार
तीन पीसीएस अफसरों पर कार्रवाई के संकेत, एसआईटी की टिप्पणी – यह समय रहते अपना काम करते तो नहीं होता बिकरु कांड।
कानपुर: उत्तर प्रदेश के चर्चित विकास दुबे कांड में तैनात अफसर अगर बंदूकें केे लाइसेंस की जांच समय से करते तो बिकरू कांड होने से बच सकते थे। यह टिप्पणी असलाह लाइसेंसों की जांच का शासनादेश आने के बावजूद जांच न करने वाले अफसरों पर एसआईटी ने की है। साथ ही टीम ने तीन पीसीएस अफसरों पर कार्रवाई की संस्तुति भी की है।
जिले में बने 41 हजार असलहा लाइसेंसों में कई गलत तरीके से बने हैं, तो कई अवैध हैं शासन ने एक साल पहले ही आदेश भेजकर जिले के आला अफसरों से थानावार हथियारों के लाइसेंस की जांच कराने का आदेश दिया था इसके बावजूद कानपुर के अफसरों के कानों पर जू तक नहीं रेंगी। बिकरू कांड के बाद SIT ने जांच की तो शासनादेश का भी जिक्र आया। तब पता चला कि शासन का आदेश दबा दिया गया और किसी ने जांच की ही नहीं। इसीलिए पूर्व एडीएम सिटी विवेक श्रीवास्तव, सिटी मजिस्ट्रेट रवि श्रीवास्तव और एसीएम पथमम अभिषेक सिंह के खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति की है। प्रशासन की जांच में भी गड़बड़ी मिली बिकरू कांड के बाद शासन ने फिर से जिला प्रशासन को लाइसेंसों की जांच का आदेश दिया। डीएम के आदेश पर सिटी मजिस्ट्रेट हिमांशु गुप्ता ने जांच की तो पूरी पोल ही खुल गई। एडीएम सिटी अतुल कुमार ने बताया, कि 41 हजार में से 22760 लाइसेंस की जांच हो चुकी है। इनमें से 3112 लाइसेंसधारी हैं। इसलिए एसआईटी जांच की संस्तुति द्वारा शासन को भेज दिया गया है। फिर भी सिटी मजिस्ट्रेट के नेतृत्व में टीम पूरे 41 हजार लाईसेन्स की जांच करेंगी। एक-एक फाइल का ब्योरा तैयार होगा। बाकी नियुक्त एसआईटी अपने स्तर पर जांच करेगी।
कई अफसरों पर लटक रही कार्यवाही की तलवार – जांच में पता चला है, कि कई ओरिजिन लाइसेंस की फाइलों के बिना डीएम के इन के ही स्वीकृत हो चुके हैं। कई फाइलों में सिर्फ कुछ पन्ने हैं तो कई फाइलों में दस्तावेज ही नहीं हैं। कई फाइलें तो मिल ही नहीं रही हैं। ये मूल लाइसेंस धारक और दोषियों की जांच पूरी होने के बाद कार्रवाई हो सकती है।