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राजनीतिक रैलियों को तत्काल रद्द करने की तैयारी में चुनाव आयोग?

नई दिल्ली। चुनाव आयोग आदर्श आचार संहिता के लागू होते ही राजनीतिक रैलियों को तत्काल रद्द करने की तैयारी में है। साथ ही कोरोना दिशानिर्देश उल्लंघन के मामले में जिलाधिकारियों को निलंबित करने की तैयारी कर रहा है। बताया जा रहा है कि गृह मंत्रालय के साथ गुरुवार को एक बैठक में चुनाव आयोग ने यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है।

कोरोना गाइडलाइन के उल्लंघन का मामला

राष्ट्रीय और राज्य आपदा प्रबंधन अधिनियम के प्रावधानों के तहत जिम्मेदारी तय की जाए ताकि मतदान वाले राज्यों में कोरोना दिशानिर्देशों को सख्ती से लागू किया जा सके। चुनाव के दौरान कोरना गाइडलाइन के उल्लंघन के सबसे ज्यादा मामले नामांकन और चुनाव प्रचार के दौरान आते हैं, क्योंकि राजनीतिक दल अधिक से अधिक भीड़ जुटाकर अपना शक्ति प्रदर्शन करना चाहते हैं। कोरोना गाइडलाइन के उल्लंघन का मामला केवल भारत ही नहीं बल्कि दुनियाभर के कई देशों में देखने को मिला।

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2020 में करीब 51 देशों में राष्ट्रीय चुनाव हुए। इन देशों में हुए चुनावों पर एक शोध के मुताबिक कई देशों ने लोगों की संख्या 100, 50 या बेहद कम 20 तक भी सीमित कर दी थी। मोंटेनेग्रो में, सार्वजनिक सभा 100 लोगों तक सीमित थी और अगस्त 2020 के संसदीय चुनावों से पहले रैलियों को तत्काल रद्द करने की तैयारी। जमैका में, अगस्त 2020 के आम चुनाव में बैठकों में केवल 20 लोगों को इजाजत थी और प्रचार में केवल पांच लोगों को साथ रहने की मंजूरी मिली।

जार्डन में सभाएं 20 लोगों तक सीमित थीं और नवंबर 2020 के आम चुनाव से पहले रैलियों पर पूरी तरह प्रतिबंध था। लेकिन फिर भी कोरोना उल्लंघन के मामले कई देशों में सामने आए। बढ़ते कोरोना मामलों को देखते हुए कई पार्टियों ने अपनी बड़ी रैलियां और भीड़-भाड़ वाले कार्यक्रम रद्द कर दिए हैं। लेकिन यह सवाल तमाम सियासी दलों के मन में है कि क्या बिना रैली या प्रचार किए बिना ही उन्हें चुनाव में उतरना होगा। चुनाव आयोग के एक अधिकारी का कहना है कि कोरोना की दूसरी लहर में हमने भयंकर त्रासदी देखी है इसलिए चुनाव की शुरुआत सख्ती से की जाएगी।

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