लखनऊ

तक जानवर के 24 घंटे से अधिक समय तक रहने से बना दहशत का माहौल

लखनऊ। बीती दो रात से अधिक समय से एक तेंदुए के आतंक के साये में राजधानी लखनऊ का एक हिस्सा कभी सो रहा तो कभी जाग रहा। अभी तक तेंदुए की चहलकदमी गुडंबा क्षेत्र में थी, लेकिन स्थानीय लोगों की मानें तो रविवार देर शाम तक इसका मूवमेंट खुर्रमनगर, कुकरैल बांध से लेकर चांदन और मानस सिटी इन्क्लेव तक सुना जा रहा है। इसका असर यह रहा कि इंदिरानगर के सेक्टर 25 से लेकर मुंशी पुलिया, पिकनिकट स्पॉट का जंगली इलाका, तकरोही, अम्बेडकर चौराहा और अमराई गांव तक के क्षेत्रों में निवास करने वाले हर खासोआम के जेहन में इस तेंदुए का डर समा गया है। एक तरह से लखनऊ ट्रांस गोमती का एक बड़ा हिस्सा इस समय तेंदुए के आहट से खौफजदा है। वहीं लोगों के बीच तो अब यह भी चर्चा शुरू हो गई है कि आखिर इतनी घनी आबादी वाली नई कॉलोनियों में कैसे तेंदुए आ जाता है। दूसरी तरफ कुछ पर्यावरण जानकारों की मानें तो उनका सीधा-सपाट शब्दों में मानना है कि दरअसल, तेंदुए ने शहरी इलाके में नहीं बल्कि शहर ने उसके जंगली क्षेत्र में अतिक्रमण किया है जिसका नतीजा यही सब देखने को मिल रहा। पर्यावरण जानकार नीरज श्रीवास्तव के अनुसार किसी जानवर के पास कोई सिक्स सेंस नहीं होता हम मुनष्यों की तरह, उनके इलाके में जब भी किसी भी प्रकार का अतिक्रमण होगा तो इसके परिणाम यही सामने आयेंगे। वैसे भी किसी भी कॉलोनी को बनाने और बसाने के पहले पर्यावरण संतुलन को भी देखना जरूरी है। वहीं शहरी क्षेत्र के लोगों के जान-माल की सुरक्षा से जुडेÞ इस मुद्दे पर जब लखनऊ पुलिस कमिश्नर डीके ठाकुर से यह बात की गई कि आखिर तेंदुए के आतंक का शिकार कुछ पुलिस कर्मी भी बने हैं, ऐसे में जिन इलाकों में तेंदुए की मूवमेंट टेÑस हो रही है तो वहां के थाने टीम को भी अलर्ट कर देना चाहिये वो चौक-चौराहों पर एक समूह में गश्त बढ़ाये…जवाब में उन्होंने यही कहा कि दिखवाता हूं।-
राजधानी में कुत्ते हैं तेंदुए का आसान शिकार
खंूखार या फिर घातक जानवरों की धरपकड़ (कॉम्बिंग) से जुडेÞ लोगों की मानें तो राजधानी के तमाम कॉलोनियों में इस समय कुत्तों की संख्या काफी अधिक हो गयी है। ऊपर से तेंदुए ऐसा जानवर है जो मानव बस्ती के आसपास वाले जंगली इलाके में रहने का आदी होता है। ऐसे में जब भी उसे मौका मिलता है तो वो अंधेरे का फायदा उठाकर कुत्तों को आसानी से अपना शिकार बना लेता है। कई बार तो वो छोटे बच्चों को भी मुंह में दबा ले जाता है।
रास्ते की तलाश में भटक रहा तेंदुआ
वन विभाग से जुडेÞ कुछ जानकारों की मानें तो मौजूदा तेंदुआ अभी ज्यादा बड़ा नहीं है और वो शिकार की तलाश में मानव बस्ती में आ घुसा और अब यहां से निकल पाने का सही रास्ता उसे नहीं मिल पा रहा है इसलिये जहां-तहां वो भटक रहा। वहीं तकरोही इंदिरानगर निवासी राकेश त्रिवादी का कहना है कि जिस तरह से तेंदुए की लोकेशन अचानक जहां-तहां बदल रही है, मतलब वो आसपास के किसी भी कॉलोनी में घुस सकता है और देर शाम कहीं से भी बाहर निकलने वाले लोगों पर हमला कर सकता है।
नगर निगम के अलाव कर सकते हैं मदद
स्थानीय लोगों का कहना रहा कि यदि इस ठंडक में पहले की तरह नगर निगम टीम तेंदुए के आहट वाले इलाके के पास चौक-चौराहों व बड़ी कॉलोनियों के आसपास अपने अलाव अविलंब जलवा दे तो वन विभाग की काफी मदद हो सकती है। वहीं जब इस विषय पर नगर निगम प्रशासन के कुछ अधिकारियों से संपर्क किया गया तो उनका फोन नहीं उठा, जबकि मेयर के काफिले के साथ चल रहे लोगों ने बताया कि वो अमेठी से लौट रही हैं और दूसरी कार में बैठी हैं, बाद में बात करिये।
‘वन विभाग की टीम ने कल्याणपुर इलाके का भ्रमण किया। अभी कुकरैल बांध, खुर्रमनगर क्षेत्र का दौरा किया। पिकनिट स्पॉट के जंगली इलाके के समीप ही एक टीम आग जलाकर बैठी है। अब आखिर में मैं खुद टीम के साथ जानकीपुरम की ओर जा रहा हूं। जिसने भी किसी भी तरह तेंदुए को देखा हो वो बिना किसी संकोच के हमसे शेयर कर सकता है।’

Show More

यह भी जरुर पढ़ें !

Back to top button