डिप्टी सीएम पहुंचे राम कथा दरबार

लखनऊ। सत्य को देखने के लिए निरावरण आंखें चाहिए। रामकथा के दर्पण से हम स्वयं को देख सकते हैं। इससे अन्त:करण शुद्ध होता है। सूर्य बादलों की ओट में है तो इसका अर्थ नहीं की सूरज नहीं है। हमारे आंखों को बादलों ने ढंका है इसलिए वो नहीं दिखता। माचिस घिसेंगे तो अग्नि प्रकट हो जाएगी। तत्व एक हैं नाम अलग-अलग हैं। स्वर्ण है किन्तु आभूषणों के नाम अलग अलग हैं। जल यदि जमा हुआ है तो सगुण पिघल गया तो निर्गुण। सत्य के दर्शन के लिए ज्ञान का प्रकाश होना चाहिए। ये बातें सोमवार को सीतापुर रोड स्थित रेवथी लान में भारत लोक शिक्षा परिषद के तत्वावधान में चल रही राम कथा के तीसरे दिन साध्वी ऋतम्भरा ने कहीं। उन्होंने शिव पार्वती संवाद से जीवन के सूत्र निकालकर श्रद्धालुओं को सौंपे। रामजन्मभूमि आन्दोलन के दौरान हुए कारसेवकों के बलिदान तथा गुरुपुत्रों के साथ किये मुगलों की जघन्यता का भी स्मरण कराया। साध्वी ने राम का वेश धरे बालक को गोद में लेकर दुलार दिया। कथा आरम्भ होने के पूर्व मुख्य यजमान डा. नीरज बोरा ने सपत्नीक व्यास पूजा की। उप मुख्यमंत्री डा. दिनेश शर्मा समेत अनेक विशिष्ट जनों ने भी व्यास पीठ का आशीर्वाद लेकर कथा श्रवण किया।